जोधपुर। आसाराम के छिंदवाड़ा स्थित गुरुकुल की गल्र्स हॉस्टल की वार्डन शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता ने नाटकीय घटनाक्रम में बुधवार अपराह्न 4 बजे सेशन कोर्ट में सरेंडर कर दिया। इससे पहले 3:45 बजे ही उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
वहां से उसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया। बाद में उसका मेडिकल करवाया गया। हाईकोर्ट में पिछले शुक्रवार को शिल्पी के अग्रिम जमानत आवेदन पर बहस अधूरी रही थी। बुधवार को लंच के बाद न्यायाधीश निर्मलजीत कौर की अदालत में करीब डेढ़ घंटे तक बहस चली।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद पुरोहित व सरकारी वकील महिपाल विश्नोई के साथ प्रद्युम्न सिंह ने शिल्पी की कॉल डिटेल पेश करते हुए कहा कि वह पीडि़ता को आसाराम तक पहुंचाने के पूरे षड्यंत्र में शामिल रही है।
इस दौरान अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा और पीडि़ता की ओर से अधिवक्ता मनीष व्यास व कपिल पुरोहित ने भी बहस में भाग लिया। वहीं बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केके मनन व प्रदीप चौधरी का कहना था कि शिल्पी कभी आसाराम से मिली ही नहीं।
जोधपुर में ही थी शिल्पी
जानकारी के अनुसार शिल्पी आसाराम के निजी रसोइये प्रकाश और छिंदवाड़ा गुरुकुल के निदेशक शरद के साथ ही जोधपुर आ गई थी। वह हाईकोर्ट में अपने अग्रिम जमानत आवेदन पर निर्णय का इंतजार कर रही थी।
बुधवार को हाईकोर्ट में दोपहर बाद 3.45 बजे जैसे ही शिल्पी की जमानत अर्जी खारिज हुई, उसके वकील प्रदीप चौधरी ने अपने चैंबर में बैठी शिल्पी को बाहर बुलाया और उसे साथ लेकर ठीक 4 बजे सेशन कोर्ट में उपस्थित हो गए।
No comments:
Post a Comment