Tuesday, 10 September 2013

Muzaffarnagar Riots: Administrative Failure!

Reported By Indian Express
* On August 27, the day the first sparks flew in Kawaal village, police inaction was clear. Two young men, Gaurav and Sachin, killed one Shahnawaz after a petty quarrel. Both were lynched by angry residents of the village. "The assault went on for at least 30 minutes. There's a police outpost less than a kilometre from the scene of the crime no policeman showed up for one full hour, said Ramesh Chandra, a resident of Kawaal.

* Hours after this incident, SSP of Muzaffarnagar — under which Kawaal falls — Manzil Saini and District Magistrate Surender Singh were transferred. Their replacements took time to settle in, losing precious time in dealing with the situation. This, many say, created an administrative vacuum of sorts. "They were new to the district and there are several other things that need attention. The former SSP and DM knew the lay of the land. On August 27, no violence had taken place. It was only a localised incident that could have been handled differently. These knee-jerk transfers do not serve any purpose," said a senior police officer who did not wish to be named. 

मुलायम ने कहा: मुजफ्फरनगर में दंगा हुआ ही नहीं

लखनऊ/मेरठ/मुजफ्फरनगर. यूपी के मुजफ्फरनगर में दंगे के बाद हालात सामान्‍य होते दिख रहे हैं लेकिन सियासत तेज होती जा रही है। कांग्रेस ने सीएम अखिलेश यादव का इस्‍तीफा मांगा है तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि मुजफ्फरनगर में दंगा हुआ ही नहीं, यह तो जातीय हिंसा थी। 
कांग्रेस सांसद जितिन प्रसाद और मानव संसाधन राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने इन दंगों के लिए अखिलेश सरकार को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। प्रसाद ने बीजेपी पर भी ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है। 
 
उन्‍होंने कहा कि केंद्र में सरकार को सपा का समर्थन खोने की चिंता कांग्रेस को नहीं है। वहीं, सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की पूर्वसंध्या पर संवाददाताओं से बातचीत में मुलायम ने कहा, 'मुजफ्फरनगर में जातीय संघर्ष हुआ। उसकी प्रतिक्रिया हुई, जो गांवों में फैल गई।' उन्‍होंने कहा कि समाज में अविश्वास पैदा हुआ है। यह स्थिति सिर्फ उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि पूरे देश में है। 

अखिलेश को बचने का मौका न दें

देश में सक्रिय कई मुस्लिम संगठनों सहित कुछ राजनीतिक दलों ने भी अखिलेश यादव को बर्खास्त करने की मांग की है। लेकिन इससे तो अखिलेश की मुस्लिम परस्ती की सजा मिलने के बजाय उसे सहानुभूति का लाभ मिल जायेगा।
अखिलेश ने अपनी मुस्लिम परस्त नीतियों के कारण जो हालात पैदा किये है उनसे उसे खुद ही निपटने दिया जाये तो अच्छा है।
आखिर सजा तो उन्हें भी मिलनी चाहिए जिन्होंने इस गलत सरकार को समर्थन देकर चुना
है।

पुलिस की मुसलमानों के अनुकूल पक्षपात ने बात बिगाड़ी

मुजफ्फरनगर में युवती से छेड़खानी की घटना के बाद पुलिस के पक्षपातपूर्ण रवैये से बात बिगड़ती चली गई। दंगा भड़क जाने के बाद अब चाहे जितनी सख्ती बरती जाए, लेकिन कहा जा रहा है कि वहां अफसरों ने हालात बिगड़ने का खुद मौका दिया। गृह सचिव कमल सक्सेना और आइजी एसटीएफ आशीष गुप्ता कहते हैं कि महापंचायत स्थल से जुड़े संवेदनशील मार्गो पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था थी, लेकिन यह अनुमान नहीं था कि स्थिति इतनी खराब हो जाएगी। पखवारे भर पहले से ही मुजफ्फरनगर समेत इर्द-गिर्द के जिलों में सुलग रही सांप्रदायिक तनाव की चिंगारी को बुझाने की योजनाबद्ध कोशिश नहीं की गई। 
लापरवाही का नतीजा रहा कि मुजफ्फरनगर के नंगला-मंदौड़ की महापंचायत में एक लाख की भीड़ जुटी। फिर जो हुआ उससे निपटने को सरकार को सेना तक बुलानी पड़ी। ऐसा नहीं कि यह सब अचानक हुआ हो। उससे पहले निषेधा का उल्लंघन करके जुमे की नमाज के बाद एकत्रित हुजूम ने सभा की थी और उसमें नेताओं ने भाषण दिए थे। इसके जवाब में एक दिन और भीड़ उमड़ी और चेतावनी देकर चली गई लेकिन उससे कोई सबक नहीं लिया गया।
मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को आयोजित बंद में लोगों ने स्वत: स्फूर्त दुकानें बंद की, लेकिन अफसरों ने बताया कि बंदी केवल 40 प्रतिशत रही है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जब खुफिया तंत्र ने आगाह किया तो उनके दिशा निर्देश पर पुलिस महानिदेशक देवराज नागर समेत कई अधिकारी मुजफ्फरनगर पहुंचे। डीजीपी ने बवाल में जबरन फंसाये गये बेगुनाहों को छोड़ने और एसटीएफ से निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया, लेकिन तब तक माहौल में काफी तनाव भर गया था। फिर भी सख्ती करने के बजाय लोगों को सड़कों पर उतरने की छूट दी गयी और यही छूट बवाल-ए-जान बन गई।


टल्ली राम जी!


Survival Of The Fittest!


Muslim Organizations Demand Akhilesh's Dismissal

देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने मांग की है कि अखिलेश सरकार को बर्खास्त कर दिया जाए।जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमात-ए-इस्लामी हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशवरत, मरकजी जमीयत अहले हदीस हिंद और कुछ दूसरे संगठनों ने मंगलवारको साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की।जमीयत के महासचिव महमूद मदनी ने कहा,"इस हिंसा को रोकने में राज्य की सरकार पूरी तरह से नाकाम रही है। इसको तत्काल बर्खास्त किया जाए।"

Largest Aircraft

आपने वैसे तो कई प्लेन और एयरक्रॉफ्ट देखें होंगे और उनकी सवारी भी की होगी, लेकिन क्या आपको पता है दुनिया में सबसे बड़े एयरक्रॉफ्ट का दर्जा किसको मिला हुआ है. कौन सा ऐसा एयरक्रॉफ्ट है जो पूरे घर को एक साथ उठा कर एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकता है..जिसके अंदर कोई भी मीडियम प्लेन आसानी से आ जाता है। इन सबका जवाब एक ही है एयरबस बेलुगा. दिलचस्प है कि एयरबस बेलुगा दुनिया का सबसे बड़ा सिविल या मिलिट्री कार्गो एयरक्राफ्ट है.
 
एयरबस बेलुगा को बड़े-से-बड़ा एयर कार्गो को भी एक जगह से दूसरे जगह ले जाने में सक्षम होने के लिए जाना जाता है. मुख्य तौर पर बेलुगा को एयरक्राफ्ट प्रोडक्शन के तहत बनने वाले प्लेन या उनके बड़े-बड़े पार्ट्स को फाइनल असेंबली लाइन तक पहुंचाने के लिए बनाया गया है. इसकी कीमत करीब 17.5 अरब रुपए है।

Hari Oum!


Managed or Spontaneous?

जयपुर की विशाल सभा में श्री नरेन्द्र मोदी 
 मुस्लिम महिलाएं!

Incident or Intent?

जब नरेन्द्र मोदी की सभा चल रही थी 
तब जयपुर के कई इलाकों में बिजली गुल थी 

Wise-Heads?


Only 200cr


क्रूर सौदागर

धर्मनिरपेक्षता के क्रूर सौदागर
-------------------
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार है. इस पार्टी की कमान धर्मनिरपेक्षता के 'लंबरदार' मुलायम सिंह यादव के हाथ में है और राज्य के मुख्यमंत्री हैं उनके सुपुत्र अखिलेश यादव। अखिलेश के कार्यकाल में सौ से अधिक दंगे हो चुके हैं। मुजफ्फरनगर के ताजा दंगों में 29 लोगों की हत्या हो चुकी है। तो यह क्यों नहीं कहा जाए कि इन दंगों के लिए अखिलेश यादव जिम्मेदार हैं और उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा कर जेल में बंद कर देना चाहिए? 
गुजरात में तीन दिन चले दंगों के लिए बीते ग्यारह साल से नरेंद्र मोदी के पीछे मुलायम सिंह यादव जैसे तमाम सेक्युलर नेता पड़े हैं। लेकिन जब बात उनके राज्यों में होने वाले दंगों की होती है तो सब खुद को पाक साफ बताने लगते हैं। 
असम में भी ऐसा ही हुआ। पिछले साल जुलाई में वहां दंगे भड़के और तीन हफ्तों तक हिंसा होती रही। सेना की तैनाती में भी देरी हुई। बावजूद इसके तरुण गोगोई और कांग्रेस सेक्युलर हैं। 
1984 में कांग्रेस सरकार के दौरान सिखों का नरसंहार हुआ। कांग्रेस के नेता और मंत्री तक हिंसा में नामजद हुए। यही नहीं तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उकसाने वाला बयान दिया। बावजूद इसके नेहरू-गांधी परिवार धर्मनिरपेक्ष है। 
धर्मनिरपेक्षता के ऐसे ही नए लंबरदार हैं नीतीश कुमार। कम समय में वह मुलायम, लालू और कांग्रेसी-वामपंथी नेताओं से आगे निकलना चाहते हैं। इसलिए अपने राज्य में होने वाले दंगों पर वह मौन रहते हैं। यही नहीं उनके इशारे पर बिहार की पुलिस यासीन भटकल जैसे मोस्ट वांटेड आतंकवादियों से पूछताछ करना भी मुनासिब नहीं समझती है। 
दरअसल, धर्मनिरपेक्षता की यह विभत्स परिभाषा कांग्रेस और समाजवादी-वामपंथी धड़े ने अपनी सहूलियत के लिए गढ़ी है। जिसमें वह सभी मिल कर एक धर्मविशेष की वोटों की खातिर देश के बहुसंख्यकों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हैं। देश के सौहार्द को संकट में डालते हैं। इससे भी ज्यादा क्रूर सत्य तो यह है कि अपने सियासी लाभ के लिए ये सभी जिस धर्मविशेष का कार्ड खेलते हैं। उसी मजहब के लोग आज भी सबसे अधिक गरीब और पिछड़े हुए हैं। 
बहरहाल, मुजफ्फरनगर के दंगों में मारे गए लोगों के प्रति संवेदनाओं के साथ उत्तर प्रदेश की निकम्मी सरकार से मेरी यह अपील है कि वह सियासी नफे-नुकसान से ऊपर उठ कर अपने दायित्वों का पालन करे। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह मारे गए लोगों की आत्मा को शांति दे और उनके परिजनों को इस दुख से उबरने का हौसला दे। 

घोड़े को नहीं घास, गधे को च्यवनप्राश!


Infant Deaths Rock Govt Hospital

KOLKATA DISASTER: In the news for a long time owing to large number of crib deaths, the state-run B C Roy Children's Hospital in Kolkata has reported another 49 infant deaths in the last seven days, including seven in the last 24 hours: http://iexp.in/pDy35726 

No Border!


Question Mark!

The government has constituted a one-member judicial commission headed by 
(retd) Justice Vishnu Sahai to probe into 
starting August 27 from the Kawal incident till September 9.

तो क्या दंगों की जड़ जो 
27 अगस्त से पहले 
एक हिन्दू लड़की को मुसलमान लड़के द्वारा छेड़ने 
में छुपी है 
इस जाँच आयोग के दायरे से बाहर रहेगी?


1984 Anti-Sikh Riots:

US judge orders hospital staff, security agents to deliver summons to Sonia Gandhi

मुज़्ज़फ़्फ़रनगर दंगे: सारांश

कैसे सपा के शासन में हिंदुओं के साथ अन्याय हुआ?

अब तक आयीं ख़बरों का निचोड़ पेश है-

* एक मुस्लिम लड़के ने एक हिंदू लड़की के साथ छेड़खानी की और बलात्कार करने की कोशिश की। वो लड़की किसी तरह भाग के घर आई और अपने भाइयों को बताया। 

* लड़की के भाइयों ने आरोपी लड़के को मारा और लड़का बुरी तरह से घायल हो गया। कहते हैं कि मर गया है। 

* बदले में मुस्लिमो ने लड़की के परिवार पे हमला करके दोनो भाइयों को बुरी तरह से कुचल के मार डाला। 


* दोनों पक्षों ने पुलिस में शिकायतें करीं। 

*पुलिस ने मुस्लिम पक्ष के लोगों को भी गिरफ्तार करने के बदले सिर्फ लड़की पक्ष के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उसके माँ-बाप पर केस कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। मुस्लिम पक्ष के मामले में कोई छानबीन भी नहीं की गयी। 


* हिंदुओं ने इसके विरोध में महासभा की और पुलिस के व मुस्लिम समूह के अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठायी।


* दंगा तब तक भी शुरू नही हुआ था। 

* मुसलमानों ने उस महासभा में आए हिंदुओं पे 'सुनियोज़ित तरीके से हमला बोला'।

इलाके के एस.पी. अब्दुल राणा ने सारे पुलिस को दबाब में डाल कर मुस्लिम का साथ देने को कहा।

* उस हमले कितने मारे गए हैं अभी तक पता नही लेकिन फिर भी हिंदुओं को ही गिरफ्तार किया गया।

* हिंदुओं का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होने मुसलमानों को जबाबी हमलों में घर से निकाल के मारा। 

* क्रिया- प्रतिक्रिया में दंगे की आग फैलाती जा रही है।

प्रशासन का दावा- 

हालांकि जिलाधिकारी शर्मा के मुताबिक, ''यह छेड़छाड़ की घटना थी जिसमें दो लड़कों ने एक को मारा और भीड़ ने उन दोनों को मार दिया। लेकिन इसमें दो समुदायों के लोग होने की वजह से मामला सांप्रदायिक हो गया।" 
28 अगस्त को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गौरव-सचिन की बर्बरता से हत्या के खुलासे ने माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया। शवों को दाह-संस्कार के लिए रखते ही 2-3 ट्रैक्टर-ट्रॉली निकलकर गांव की ओर पहुंची और जुमा मस्जिद से लेकर चौराहे तक की दुकानों-घरों में तोडफ़ोड़ करते हुए आगे बढ़ीं। 
प्रशासन को उम्मीद थी कि दाह-संस्कार समाप्त होने के बाद भीड़ वापस जाएगी। लेकिन अचानक हुए हमलों को रोकने में पुलिस नाकाम रही। 
हालांकि गांव में तैनात पीएसी के जवानों ने एकबार तो भीड़ को खदेड़ दिया। फिर दोपहर में शाहनवाज का शव कवाल पहुंचा और उसे दफनाने के दौरान नारेबाजी हुई और मामला बढ़ता गया। 

दिल्ली गैंगरेप: सभी आरोपी दोषी करार

नई दिल्ली। दिल्ली गैंगरेप मामले के चारों आरोपी दरिंदों को साकेत स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मंगलवार को दोषी करार दिया।
कोर्ट ने चारों को उनके ऊपर लगी सभी धाराओं में दोषी ठहराया है। अब इनकी सजा पर बुधवार को 11 बजे बहस होगी जिसके बाद उनकी सजा का ऐलान किया जाएगा। 
उम्मीद जताई जा रही है कि कोर्ट इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर करार देते हुए सभी दोषियों को फांसी की सजा देगी।
फैसले के बाद आरोपियों के वकील एपी सिंह ने फैसले पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने इसको राजनीति के दबाव में लिया गया फैसला बताया है। उन्होंने कहा कि धन-बल की कमी की वजह से ही उनके मुवक्किल को दोषी ठहराया गया है।
इससे पूर्व सभी आरोपियों को कड़े सुरक्षा पहरे में कोर्ट में लाया गया। दोषी ठहराए जाने के दौरान अक्षय, पवन, मुकेश और विनय के चेहरे पर खौफ साफ देखा जा सकता था।
गौरतलब है कि बीते 31 अगस्त को नाबालिग आरोपी को हत्या के मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने अधिकतम तीन साल की सजा सुनाई थी।
इससे माना जा रहा है कि हत्या में फास्ट ट्रैक कोर्ट भी चारों दरिंदों को अधिकतम सजा सुना सकती है। अधिकतम सजा में सजा-ए-मौत का प्रावधान है।

SP = Communal Riots


Balak Nirman!


Bandhe Hath!