Wednesday, 11 September 2013
तुझे मम्मी कहूँ या पापा?
आपने ऐसे कई पिता देखे होंगे जो अपने बच्चों को दिलोजान से चाहते होंगे। लेकिन ये पहला आदमी है जो अपने बच्चे की मां है। ये चमत्कार हुआ है जर्मनी में। हालांकि इस शख्स के नाम का खुलासा नहीं हुआ है लेकिन ये एक ट्रांसजेंडर है। एक शुक्राणु दाता की वजह से ये अब मां बन गया है।डेली मेल की खबर के अनुसार यह आदमी औरत के रूप में पैदा हुआ था और मार्च में इसने एक बेट को जन्म दिया। डिलीवरी बर्लिन स्थित घर पर ही एक आया द्वारा कराई गई।दरअसल घर पर ही डिलीवरी कराने का एक महत्वपूर्ण कारण ये था कि जर्मनी में बर्थ सर्टिफिकेट पर मां का नाम भी लिखा जाता है। और ये आदमी नहीं चाहता था कि उसका नाम किसी भी अस्पताल में बतौर मां दर्ज हो।बतौर औरत पैदा होने वाले इस ट्रांसजेंडर में महिलाओं के प्रजनन अंग सुरक्षित थे और इसी वजह से ये संभव हो सका।अधिकारिक तौर पर 18 मार्च को जन्मे इस बच्चे की मां है ही नहीं। क्योंकि बर्थ सर्टिफिकेट पर केवल उसके पिता का ही नाम लिखा हुआ है। एक और निशाना अखिलेश पर
केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने मुजफ्फरनगर व आसपास के इलाकों में हुए दंगों को राज्य सरकार की नाकामी का परिणाम बताया है। उन्होंने संकेत दिए कि कांग्रेस इस मामले में सपा के साथ दोस्ती निभाने के मूड में नहीं है। उन्होंने कहा कि दंगे प्रदेश सरकार की चूक का नतीजा हैं। समय रहते यदि कड़े कदम उठाए गए होते तो दंगे की स्थिति नहीं पैदा होती।
जायसवाल ने यहां पत्रकारों से कहा कि हम मानते हैं कि यह समय दंगों पर टिप्पणी करने का नहीं है, लेकिन प्रदेश सरकार की विफलता को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है। वहां अमन-चैन कायम हो इसके लिए केंद्र सरकार हर संभव मदद कर रही है।
बुखारी ने भी अखिलेश सरकार के खिलाफ जमकर निकाली
रामपुर। दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने बुधवार को सूबे की अखिलेश सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। उन्होंने काबीना मंत्री आजम खां का नाम लिए बिना उन पर भी तंज कसे। बोले, जो वजीर अपने घर (रामपुर) में संसदीय सीट नहीं जिता सकता वह दूसरे जिलों में मुसलमानों के वोट क्या दिला पाएगा।
सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यूपी की सपा सरकार में चारों ओर लूट मची है। मुसलमानों को रोजगार से जोड़ने की बजाय उजाड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में यादववाद और ठाकुरवाद चल रहा है। आम आदमी को मामूली मुकदमा दर्ज होते ही जेल भेज दिया जाता है, लेकिन पुलिस अफसर के कत्ल में नामजद राजा भैया को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा।
मौलाना बुखारी ने बुधवार को मीडिया से कहा कि सपा ने मुसलमानों को 18 फीसद आरक्षण देने और जेल में बंद निर्दोष अल्पसंख्यकों को रिहा कराने का वादा किया गया था, लेकिन सत्ता में आते ही यह वादों से मुकर गई। 22 फीसद मुसलमानों और आठ फीसद यादवों के वोट से सत्ता में आई सपा मुसलमानों का भला नहीं कर रही। चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि सत्ता में आने पर हर थाने में मुसलमान स्टाफ सुनिश्चित होगा, लेकिन अब हर थाने में यादव है, मुसलमान नहीं। अच्छे जिलों और थानों में थानेदार, कलक्टर, एसपी सब यादव हैं। यूपी में यादव व ठाकुरवाद चल रहा है। जेल में बंद निर्दोष मुसलमानों से मुकदमे वापस नहीं हुए, लेकिन मुसलमानों के हाथ पैर काटने की धमकी देने वाले वरुण गांधी से मुकदमे वापस हुए। रामपुर निवासी सूबे के वजीर से चार मुकदमे वापस लिए जा रहे हैं। मुसलमानों को आरक्षण का लाभ देने के बजाय उजाड़ा जा रहा है।
बुखारी ने बताया कि वह सपा सरकार के खिलाफ मुलायम सिंह यादव के गढ़ इटावा से ही 21 अप्रैल को रैली शुरू करने जा रहे हैं। इससे सपा नेता बेचैन हैं। मुसलमानों को लालच दिया जा रहा है कि वे रैली में शामिल न हों, लेकिन मुसलमान लालच में आने वाले नहीं हैं। मुसलमान एक साल में सपा से कोसों दूर हो चुका है। मुलायम सिंह रामपुर के जिस वजीर पर भरोसा किए हैं, वह दूसरे जिलों में क्या वोट दिलाएंगे अपने जिले में ही लोकसभा की सीट नहीं जितवा सकते। उन्होंने मुसलमानों से दलितों की तरह सियासी ताकत बनने का आह्वान किया।
सपा नेतृत्व से नाराज हैं आजम खां
सूबाई हुकूमत में दूसरे नम्बर के वजीर मोहम्मद आजम खां की तबीयत 'नासाज' है और उनके करीबी बताते हैं कि इसी वजह से वह आगरा में जारी सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के पहले दिन नहीं पहुंच सके। नासाज तबीयत के लिए इलाज की दरकार होती है और आजम खां को
अब तक के सियासी सफर में जब-जब तबीयत नासाज हुयी तो उनके मिजाज को समझने वाले उन्हीं सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उन्हें दवा देने का काम किया जिन्हें उन्होंने रफीकुल मुल्क के खिताब से नवाजा हुआ है। रूठने-मनाने के इस खेल के दोनों पुराने खिलाड़ी हैं और अगर आजम की तबीयत नासाज होने की टाइमिंग है तो नेताजी को खूब अच्छी तरह इस बात का अंदाजा होता है कि कब कौन सी दवा देनी है।
मोहम्मद आजम खां इन दिनों कैबिनेट मीटिंग में नहीं जाते। प्रेस नोट जारी कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के साथ मुलाकात पर सख्त नाराजगी का इजहार करते हैं। ताजा मुजफ्फरनगर दंगों पर भी उनकी नाखुशी समाने आयी। कुछ समय पहले दिल्ली की शाही मस्जिद के इमाम मौलाना अहमद बुखारी की मुलायम सिंह यादव से बढ़ती नजदीकियों पर भी आजम खान ने अपनी खास स्टाइल में ऐतराज जाहिर किया था।
पिछले लोकसभा चुनाव के समय कल्याण सिंह, अमर सिंह और जयाप्रदा को लेकर उनकी नाराजगी ने उन्हें पार्टी से अलग कर दिया था लेकिन फिर सही मौका देखकर मुलायम ने उन्हें मना लिया और दोनों साथ-साथ चलने लगे।
ऐसा नहीं है कि आजम खान केवल पार्टी के ही लोगों से नाराज होते हैं। वर्ष 2003-07 के बीच मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को लेकर तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर के खिलाफ वह इस कदर खुलकर आरोप लगाने के लिए बात इतनी बिगड़ गयी कि मामले को रफादफा करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को उन्हें लेकर राजभवन जाना पड़ा।
उस मुलाकात का कोई ब्योरा तो किसी ओर से जारी नहीं किया गया लेकिन जिन हालात में वह मुलाकात हुयी थी उसको देखते हुए यही माना गया कि सूबे के संवैधानिक प्रमुख पर सार्वजनिक आक्रमण करने के लिए उन्हें माजरत करनी पड़ी। बहरहाल फिर इंतजार रहेगा कि नासाज तबीयत को ठीक करने के लिए नेताजी कब पहल करते हैं।
खूनखराबा पुलिस व पीएसी की मौजूदगी में हुआ
मुजफ्फरनगर [दैनिक जागरण]। नंगला मंदौड़ की महापंचायत से लौटते समय जौली गंगनहर पर खूनखराबा पुलिस व पीएसी की मौजूदगी में हुआ। ईख के खेतों से निकलकर हमलावरों ने ट्रैक्टर- ट्रॉली पर सवार ग्रामीणों पर हमला किया। जौली क्षेत्र से अब तक चार शव, 11 फुंके ट्रैक्टर व दो जली बाइक बरामद हो चुके हैं, जबकि अनेक लोग व कई ट्रैक्टर लापता हैं।
गत सात सितंबर को नंगला मंदौड़ में महापंचायत थी। प्रशासन ने रास्तों पर पुलिस बल तैनात कर रखा था। जौली पुल पर भी एक प्लाटून पीएसी तथा डीएसपी, इंस्पेक्टर के साथ भारी पुलिस बल था। महापंचायत के बाद ट्रैक्टर-ट्रालियों में ग्रामीण अपने घरों को लौट रहे थे। जौली गंगनहर पुल के निकट पहुंचते ही खेतों से निकले सैकड़ों हमलावरों ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी। अफरातफरी मच गई। ट्रैक्टर ट्राली सवार कुछ लोग भी हमलावरों पर टूट पड़े। दोनों पक्षों में आमने-सामने टकराव से खूनखराबा हो गया। कुछ ग्रामीण ट्रैक्टर छोड़कर भाग खड़े हुए। सैकड़ों लोगों ने पुल पार कर बस्ती के घरों में घुसकर जान बचाई। हमलावरों ने दर्जनों-ट्रैक्टरों को आग के हवाले कर दिया था।
जौली क्षेत्र से चार लोगों के शव व 11 फुंके हुए ट्रैक्टर व दो जली हुई बाइक बरामद हो चुकी हैं जबकि अनेक लोग व कई ट्रैक्टर अभी भी लापता हैं। पुलिस व पीएसी की मौजदूगी में इतना सब कुछ होना सवालिया निशान छोड़ रहा है। चर्चा है कि पुलिस ने घटनास्थल से अनेक अत्याधुनिक हथियारों के खोखे भी बरामद किए हैं।
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