Monday, 9 September 2013
असद के सैनिकों की हत्या का नया वीडियो
गृह युद्ध की मार झेल रहे सीरिया में स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। फ्री सीरियन आर्मी के लड़ाकों द्वारा बशर अल असद के सैनिकों की हत्या का नया वीडियो सामने आया है। वीडियो 2012 का है।
वीडियो में बशर सेना के जवानों को अर्धनग्न हालत में घुटनों के बल जमीन पर बैठाकर विद्रोही लड़ाकों द्वारा गोलियों से मारते हुए दिखाया गया है। हत्या से पहले लड़ाकों का लीडर अब्दुल समद इस्सा (अंकल नाम से चर्चित) एक कविता पढ़ता है और इसके बाद सभी सैनिकों की निर्मम हत्या कर दी जाती है।
सैनिकों की हत्या से पहले लड़ाकों का लीडर अब्दुल कहता है, "पिछले 50 सालों से ये लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे थे। हम ईश्वर की शपथ लेते हैं कि हम बदला लेंगे।"
2012 में सीरियाई विद्रोही लड़ाकों द्वारा बनाया गया यह वीडियो न्यूयार्क टाइम्स के हाथ लगा है। फुटेज के अंत में बशर सैनिकों की लाशें एक कुंए में डालते हुए दिखाया गया है।
वीडियो में बशर सेना के जवानों को अर्धनग्न हालत में घुटनों के बल जमीन पर बैठाकर विद्रोही लड़ाकों द्वारा गोलियों से मारते हुए दिखाया गया है। हत्या से पहले लड़ाकों का लीडर अब्दुल समद इस्सा (अंकल नाम से चर्चित) एक कविता पढ़ता है और इसके बाद सभी सैनिकों की निर्मम हत्या कर दी जाती है।
सैनिकों की हत्या से पहले लड़ाकों का लीडर अब्दुल कहता है, "पिछले 50 सालों से ये लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे थे। हम ईश्वर की शपथ लेते हैं कि हम बदला लेंगे।"
2012 में सीरियाई विद्रोही लड़ाकों द्वारा बनाया गया यह वीडियो न्यूयार्क टाइम्स के हाथ लगा है। फुटेज के अंत में बशर सैनिकों की लाशें एक कुंए में डालते हुए दिखाया गया है।
सीरिया पर हमले से चौपट हो सकती है दुनिया की अर्थव्यवस्था
विकासशील एवं विकसित देशों के संगठन 'ब्रिक्स' के नेताओं ने कल जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान सीरिया पर सैन्य कार्रवाई पर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे विश्व की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
रूसी राष्ट्रपति व्लीदिमीर पुतिन के प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिक्स देशों की बैठक में सीरिया पर सैन्य कार्रवाई पर चर्चा की गई जिसमें ब्रिक्स देशों के नेताओं ने इस पर चिंता जताई है और कहा है कि इससे विश्व की अर्थव्यवस्था पर प्रभावित होने की आशंका है। सीरिया पर सैन्य कार्रवाई से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड सकता है।
विकासशील एवं विकसित देशों के संगठन 'ब्रिक्स' के नेताओं ने कल जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान सीरिया पर सैन्य कार्रवाई पर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे विश्व की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
रूसी राष्ट्रपति व्लीदिमीर पुतिन के प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिक्स देशों की बैठक में सीरिया पर सैन्य कार्रवाई पर चर्चा की गई जिसमें ब्रिक्स देशों के नेताओं ने इस पर चिंता जताई है और कहा है कि इससे विश्व की अर्थव्यवस्था पर प्रभावित होने की आशंका है। सीरिया पर सैन्य कार्रवाई से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड सकता है।
नरेंद्र मोदी आज जयपुर में

दरअसल अप्रैल में राजस्थान के राजसमंद के चारभुजा में भाजपाध्यक्ष राजनाथ सिंह जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। राजनाथ और प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे के सामने ही नरेंद्र मोदी के नारे लगने लगे। हर कोई मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का नारा लगा रहा था। राजनाथ सिंह जैसे ही भाषण देने लगे तो भीड़ ने मोदी-मोदी के नारे लगाने शुरू कर दिए।
मामला बेकाबू होता देख राजनाथ ने कहा कि हां, हां, मैंने सुन लिया, अब शांत हो जाएं। भीड़ पर असर नहीं हुआ और नारे जारी रहे। राजनाथ सिंह के भाषण के आखिरी तक अव्यवस्था बनी रही। अधिकतर लोग खड़े ही रहे। राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में भाजपा शासित राज्यों की जमकर तारीफ की, लेकिन एक बार भी मोदी के नाम का जिक्र तक नहीं किया।
अब इस यात्रा का समापन मंगलवार को अमरूदों के बाग में सुराज संकल्प संमेलन के रूप में हो रहा है। यात्रा की शुरुआत में लोगों द्वारा राजनाथ सिंह के सामने इस तरह लगे मोदी-मोदी के नारों ने शायद राजनाथ और वसुंधरा को राजस्थान में उनकी लोकप्रियता का अहसास करा दिया था।
अब इस यात्रा का समापन मंगलवार को अमरूदों के बाग में सुराज संकल्प संमेलन के रूप में हो रहा है। यात्रा की शुरुआत में लोगों द्वारा राजनाथ सिंह के सामने इस तरह लगे मोदी-मोदी के नारों ने शायद राजनाथ और वसुंधरा को राजस्थान में उनकी लोकप्रियता का अहसास करा दिया था।
आईबी ने चेताया- मुजफ्फरनगर में और भड़क सकती है हिंसा की आग
लखनऊ/मेरठ/मुजफ्फरनगर. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और शामली जिलों में दंगा अब भी जारी है। सोमवार को दो और लोगों की मौत हो गई। मरने वालों की संख्या अब 31 हो चुकी है। पर राजनीतिक दल बस आरोप मढ़ रहे। एक-दूसरे पर। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि साजिश विपक्ष की है।
उन्हीं की सरकार में मंत्री आजम खान ने कहा, जानबूझ कर माहौल बिगाड़ा जा रहा है। ताकि मौके का फायदा उठाया जा सके। जवाब में भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जब भी सपा सरकार में आती है, दंगे होने लगते हैं। अखिलेश सरकार में अब तक ऐसे 90 से 100 मामले सामने आ चुके हैं।
उधर, कांग्रेस और बसपा का अलग ही राग है। दोनों पार्टियां दंगों के पीछे सपा-भाजपा की मिलीभगत को वजह बता रही हैं। इस बीच प्रशासन ने रालोद नेता अजीत सिंह और भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद को मुजफ्फरनगर जाने से रोक दिया।
इन हंगामों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि 'मैंने तो सात सितंबर को ही अखिलेश यादव को फोन कर चेता दिया था कि दंगे हो सकते हैं।' इसके साथ ही फर्जी वीडियो क्लिप को लेकर मिली खुफिया रिपोर्ट भी यूपी सरकार से साझा की गई थी। पर सरकार ने रिपोर्ट को तवज्जो नहीं दी।
आईबी ने सरकार को चेताया, तेजी से फैल सकती है मुजफ्फरनगर दंगों की आग
इंटेलीजेंस ब्यूरो ने सरकार को चेताया है कि मुजफ्फरनगर दंगों की आग देश के दूसरो हिस्सों में भी फैल सकती है। मुजफ्फरनगर के हालातों से इनपुट लेते हुए तैयार की गई आईबी की रिपोर्ट में बताया गया है कि दंगों की आग अब शहर से निकलकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में फैल रही है। लिहाजा इसे रोका न गया तो यह भयंकर रूप धारण कर लेगी। आईबी ने गृह मंत्रालय को बताया है कि दंगाग्रस्त क्षेत्र के पड़ोसी भागों में स्थिति और भी खराब हो सकती है।आईबी के मुताबिक बरेली, अलीगढ़, मथुरा, हापुड़, मेरठ शामली, मुरादाबाद, रामपुर और सहारनपुर जिलों के गावों में भी दंगों की आग फैल सकती है।
मुजफ्फरनगर दंगा: सियासी नफा-नुकसान आंक रहीं पार्टियां
नई दिल्ली. मुजफ्फरनगर दंगों के पीछे कौन है? इसे लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरु हो गए हैं। सपा ने इसका ठीकरा विपक्ष के सिर फोड़ा है तो भाजपा व बसपा ने सपा सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस ने बिना किसी का नाम लिए हुए कहा कि ऐसा लगता है कि दंगों के पीछे राजनीतिक साजिश है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि विपक्षी दल सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी को घेरने तथा उसके खिलाफ माहौल बनाने के लिए तिल का ताड़ बन रही हैं। सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि यह सांप्रदायिक ताकतों की साजिश है। सूबे के विपक्षी दल राजनीति कर रहे हैं।
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जब से राज्य में सपा सरकार आई है हिंसा की 90 से 100 घटनाएं हो चुकी हैं, इसका क्या कारण है? इसका कारण है कि यहां पुलिस और प्रशासन पर राजनीतिक दबाव बनाकर भेदभावपूर्ण तरीके से कार्रवाई कराई जाती है। प्रसाद ने कहा कि सरकार सभी के लिए होनी चाहिए एक समुदाय के लिए नहीं। पूर्व मंत्री अशोक यादव ने कहा कि प्रदेश में मुस्लिमों के लिए अलग और हिंदुओं के लिए अलग मुआवजा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव अधिकारियों की बैठक किस हैसियत से कर रहे हैं। यादव ने कहा कि जब जब सपा सरकार आती है दंगों की संख्या अचानक बढ़ जाती है।
कांग्रेस प्रवक्ता भक्तचरण दास ने कहा कि ऐसा लगता है कि इन दंगों के पीछे कोई राजनीतिक साजिश है। उन्होंने कहा कि इन दंगों में निजी स्वार्थ रखने वाले राजनीतिक तत्व शामिल हैं। बसपा प्रमुख मायावती और रालोद नेता अजित सिंह ने सपा और भाजपा दोनों पर दोष मढ़ते हुए कहा कि यह दल राजनीतिक धु्रवीकरण के लिए ऐसा कर रहे हैं। अजित सिंह ने कहा कि भाजपा ने अमित शाह को उत्तर प्रदेश किस मंशा से भेजा। उन्होंने कहा कि भाजपा मतों के ध्रुवीकरण का प्रयास कर रही है और सपा की यही मंशा है।
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लाशों का जखीरा
मुज़फ्फरनगर की गंगनहर के पास जहाँ कल पंचायत से लौटते हुए हिन्दुओ की टोली पर हमला हुआ था, वहां इधर-उधर बहुत सी हिन्दुओ की लाशें पड़ी है।
मीडिया कर्मी वहां पर हैं पर केवल स्थानीय मीडिया वाले ही बाहर रिपोर्ट दे रहे हैं। देश की अन्य कोई मीडिया इस खबर को दिखाने की इच्छुक नहीं है क्यूंकि ये तो 'शांति फैलाने के लिए किया गया काफिरों' पर एक हमला है।
साफ़ है की पूरा प्रशासन और मीडिया सरकार की मिलीभगत से ये नरसंहार हुआ है।
मस्जिदों से लाउडस्पीकर पर काफ़िरो को ख़त्म करने की बात कहने वाले मुसलमानो के पास आधुनिक हथियार AK47 कैसे आया?
फेसबुक पर भी घटना की जानकारी देने वाले हिन्दुओ को दंगा भड़काने का आरोपी बता कर अन्दर किया जा रहा है। मेरठ के 3 मित्रो को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और एक मित्र को गाज़ियाबाद से पकड़ा है। क्या केवल हिन्दू ही दंगे कर रहे है?
वहां मुसलमान आधुनिक हथियारो से हिन्दुओ का कत्लेआम कर रहे हैं और सरकार पुलिस उन्हें रोकने की जगह हिन्दुओ को ही दमन कर रही है।
हाय रे धर्मनिरपेक्षता, शर्म तेरा आसरा!!
मीडिया कर्मी वहां पर हैं पर केवल स्थानीय मीडिया वाले ही बाहर रिपोर्ट दे रहे हैं। देश की अन्य कोई मीडिया इस खबर को दिखाने की इच्छुक नहीं है क्यूंकि ये तो 'शांति फैलाने के लिए किया गया काफिरों' पर एक हमला है।
साफ़ है की पूरा प्रशासन और मीडिया सरकार की मिलीभगत से ये नरसंहार हुआ है।
मस्जिदों से लाउडस्पीकर पर काफ़िरो को ख़त्म करने की बात कहने वाले मुसलमानो के पास आधुनिक हथियार AK47 कैसे आया?
फेसबुक पर भी घटना की जानकारी देने वाले हिन्दुओ को दंगा भड़काने का आरोपी बता कर अन्दर किया जा रहा है। मेरठ के 3 मित्रो को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और एक मित्र को गाज़ियाबाद से पकड़ा है। क्या केवल हिन्दू ही दंगे कर रहे है?
वहां मुसलमान आधुनिक हथियारो से हिन्दुओ का कत्लेआम कर रहे हैं और सरकार पुलिस उन्हें रोकने की जगह हिन्दुओ को ही दमन कर रही है।
हाय रे धर्मनिरपेक्षता, शर्म तेरा आसरा!!
Open Defiance!!!
मुज़फ़्फ़रनगर दंगा मामले में यूपी पुलिस ने चार बीजेपी विधायको समेत दर्जनों जाट नेताओ के खिलाफ केस दर्ज किया है।
मगर सेना पर हमला करने वालों पर, हिन्दुओं का कत्लेआम करने वालों पर, मस्जिदों में हथियार रखने वालों पर कोई केस क्यों नहीं।
खास आदमी 2012 में समाजवादी पार्टी की जीत के बाद मीडिया जिस
अखिलेश की प्रशंसा में कसीदे पढ़ते नहीं थक रही थी आज वही मीडिया उसी अखिलेश यादव के कुशासन का हाल बयां करते नहीं थक रही है!
दरअसल फिरकापरस्ती की सियासत एक शार्ट कट रास्ता है कुर्सी तक पंहुचने का और देश के कुछ मज़हबी सियासी लोगों ने इसी को अपना हथियार बना रखा है!
सही मायनों में ये हथियार उन सियासी लोगों के लिए किसी ''पाशुपात्र'' से कम नहीं है!
कादिर राणा ने किया निषेधाज्ञा का उल्लंघन
एक लड़की से छेडछाड के बाद बढे विवाद के बाद एक नौजवान की फिर बदले में दो नौजवानों की हत्याए हुईं। दोनों समुदायों में तनाव बढ़ता गया। निषेधाज्ञा लगा दी गयी। पुलिस का रवैया मुस्लिमों के प्रति था। मामला बिगड़ने की यह सबसे बड़ी रही।
इस घटना का राजनीतिक लाभ लेने के लिए बसपा सांसद कादिर राणा ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए विशेष समुदाय के साथ महापंचायत की। दूसरी ओर रालोद ने भाजपा के साथ मिलकर नंगला मंडोद में महापंचायत बुलाई।
डीजीपी देवराज नागर ने कहा कि कवाल में हुई घटना एक खतरनाक ट्रेंड है जो पिछले कई महीनों से चल रहा है। पूरे प्रदेश में इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं।
कोई बताएगा इस फोटो को देखकर क्या ये दस लोग मारे गए हैं!
ये मामूली दंगा नहीं। यह एक भीषण नरसंहार है।
चैनलवालो सच्चाई तो दिखाओ!
पुलिस के पक्षपाती रवैये से भड़का दंगा
रविवार को मुलायम सिंह के घर पर हुई बैठक में स्थानीय नेताओं ने मुजफ्फरनगर में हिंसा भड़कने का कारण बताया। कवाल में छेड़छाड़ के मामले में एक युवक की हत्या हुई। इसके बाद दूसरे संप्रदाय के दो युवकों की हत्या हुई। एक संप्रदाय विशेष के परिजनों ने रिपोर्ट दर्ज कराई। इसमें ऐसे लोगों को अभियुक्त बनाया गया जो पिछले एक माह से मुजफ्फरनगर से बाहर थे। इस रिपोर्ट के आधार पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापामारी की। पर हत्या के दूसरे मामले में पुलिस ने छानबीन तक नहीं की।
मेरठ से मंत्री शाहिद मंजूर, एमएलसी सरोजनी अग्रवाल, महानगर अध्यक्ष इसरार सैफी, शामली से किरणपाल कश्यप व बागपत से मंत्री दर्जा साहब सिंह आदि नेता मुलायम सिंह से मिले और उन्हें यह बात बताई। रविवार की बैठक में पहुंचे पश्चिमी यूपी के उक्त नेताओं ने कहा कि कवाल की घटना के बाद मुजफ्फरनगर में धारा 144 सख्ती से लागू की गई थी। इसके बाद भी मुजफ्फरनगर के शहीद चौक व मंदौड में सभा हो गई। शहीद चौक पर बसपा व कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कवाल प्रकरण को लेकर आग में घी डालने का काम किया, वह भी डीएम व एसएसपी की मौजूदगी में। जवाब में मंदौड में भी ऐसा ही हुआ।
शाहिद मंजूर ने आरोप लगाया कि पुलिस-प्रशासन हिंसा भड़काने में आग में घी डालने का काम करने वाले कुछ स्थानीय नेताओं के खिलाफ सुस्त पड़ा है। उन्होंने कहा कि सभाओं में उग्र भाषण देने वाले, कवाल प्रकरण की फर्जी सीडी बांटने वाले लोगों के विरुद्ध अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने मुजफ्फरनगर में लोगों को समझाने के लिए मंत्री राजेन्द्र सिंह को रवाना करने का आग्रह किया, पर मुलायम ने यह आग्रह ठुकरा दिया।
हिन्दूओँ की लाशें
मुजफ्फरनगर का मोर्चरी हाउस के बाहर की फोटो!
अंदर पूरा भरा हुआ है हिन्दूओँ की लाशों से !!!
बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा की रिपोर्ट के अनुसार मुज़फ्फरनगर के कवाल गाँव में भीड़
द्वारा दो युवकों गौरव और सचिन की बेहद निर्मम तरीके से हत्या की गई जिससे क्षेत्र के लोगों में
गुस्सा था।
इस गुस्से की आग में घी डालने का काम किया प्रदेश सरकार की संवेदनहीनता ने।
इससे मारे गये नृशंश हत्या करने वाले समुदाय के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज़
करने की बजाय मारे गये दोनों युवकों के परिज़नों के विरुद्ध ही प्राथमिकी दर्ज़ कर ली गई।
बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा की रिपोर्ट के अनुसार मुज़फ्फरनगर के कवाल गाँव में भीड़
द्वारा दो युवकों गौरव और सचिन की बेहद निर्मम तरीके से हत्या की गई जिससे क्षेत्र के लोगों में
गुस्सा था।
इस गुस्से की आग में घी डालने का काम किया प्रदेश सरकार की संवेदनहीनता ने।
इससे मारे गये नृशंश हत्या करने वाले समुदाय के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज़
करने की बजाय मारे गये दोनों युवकों के परिज़नों के विरुद्ध ही प्राथमिकी दर्ज़ कर ली गई।
करने की बजाय मारे गये दोनों युवकों के परिज़नों के विरुद्ध ही प्राथमिकी दर्ज़ कर ली गई।
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