रविवार को मुलायम सिंह के घर पर हुई बैठक में स्थानीय नेताओं ने मुजफ्फरनगर में हिंसा भड़कने का कारण बताया। कवाल में छेड़छाड़ के मामले में एक युवक की हत्या हुई। इसके बाद दूसरे संप्रदाय के दो युवकों की हत्या हुई। एक संप्रदाय विशेष के परिजनों ने रिपोर्ट दर्ज कराई। इसमें ऐसे लोगों को अभियुक्त बनाया गया जो पिछले एक माह से मुजफ्फरनगर से बाहर थे। इस रिपोर्ट के आधार पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापामारी की। पर हत्या के दूसरे मामले में पुलिस ने छानबीन तक नहीं की।
मेरठ से मंत्री शाहिद मंजूर, एमएलसी सरोजनी अग्रवाल, महानगर अध्यक्ष इसरार सैफी, शामली से किरणपाल कश्यप व बागपत से मंत्री दर्जा साहब सिंह आदि नेता मुलायम सिंह से मिले और उन्हें यह बात बताई। रविवार की बैठक में पहुंचे पश्चिमी यूपी के उक्त नेताओं ने कहा कि कवाल की घटना के बाद मुजफ्फरनगर में धारा 144 सख्ती से लागू की गई थी। इसके बाद भी मुजफ्फरनगर के शहीद चौक व मंदौड में सभा हो गई। शहीद चौक पर बसपा व कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कवाल प्रकरण को लेकर आग में घी डालने का काम किया, वह भी डीएम व एसएसपी की मौजूदगी में। जवाब में मंदौड में भी ऐसा ही हुआ।
शाहिद मंजूर ने आरोप लगाया कि पुलिस-प्रशासन हिंसा भड़काने में आग में घी डालने का काम करने वाले कुछ स्थानीय नेताओं के खिलाफ सुस्त पड़ा है। उन्होंने कहा कि सभाओं में उग्र भाषण देने वाले, कवाल प्रकरण की फर्जी सीडी बांटने वाले लोगों के विरुद्ध अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने मुजफ्फरनगर में लोगों को समझाने के लिए मंत्री राजेन्द्र सिंह को रवाना करने का आग्रह किया, पर मुलायम ने यह आग्रह ठुकरा दिया।
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