Monday, 9 September 2013

लाशों का जखीरा

मुज़फ्फरनगर की गंगनहर के पास जहाँ कल पंचायत से लौटते हुए हिन्दुओ की टोली पर हमला हुआ था, वहां इधर-उधर बहुत सी हिन्दुओ की लाशें पड़ी है।
मीडिया कर्मी वहां पर हैं पर केवल स्थानीय मीडिया वाले ही बाहर रिपोर्ट दे रहे हैं। देश की अन्य कोई मीडिया इस खबर को दिखाने की इच्छुक नहीं है क्यूंकि ये तो 'शांति फैलाने के लिए किया गया काफिरों' पर एक हमला है। 
साफ़ है की पूरा प्रशासन और मीडिया सरकार की मिलीभगत से ये नरसंहार हुआ है। 
मस्जिदों से लाउडस्पीकर पर काफ़िरो को ख़त्म करने की बात कहने वाले मुसलमानो के पास आधुनिक हथियार AK47 कैसे आया?
फेसबुक पर भी घटना की जानकारी देने वाले हिन्दुओ को दंगा भड़काने का आरोपी बता कर अन्दर किया जा रहा है। मेरठ के 3 मित्रो को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और एक मित्र को गाज़ियाबाद से पकड़ा है। क्या केवल हिन्दू ही दंगे कर रहे है?
वहां मुसलमान आधुनिक हथियारो से हिन्दुओ का कत्लेआम कर रहे हैं और सरकार पुलिस उन्हें रोकने की जगह हिन्दुओ को ही दमन कर रही है। 
हाय रे धर्मनिरपेक्षता, शर्म तेरा आसरा!! 

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