Thursday, 12 September 2013

भाजपा की आगरा रैली पर रोक

लखनऊ। प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी घोषित होने की प्रक्रिया के बीच पश्चिमी उप्र में अपना दमखम तैयारी कर रही भाजपा की आगरा की अकोला रैली पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। रैली में लालकृष्ण आडवाणी और वरुण गांधी भाग लेने आ रहे थे। प्रशासन ने रैली पर रोक की वजह मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद प्रदेश में जारी अलर्ट को बताया है, लेकिन भाजपा इसमें सपा का हाथ मान रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने तो टकराव का संकेत देते हुए यह भी एलान कर दिया है कि रैली तो हर हाल में होगी।
फतेहपुर सीकरी संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले जाट बहुल क्षेत्र में आयोजित रैली के लिए भाजपा ने शहर-देहात में ताकत झोंक रखी है। इसके लिए अनुमति के लिए पार्टी ने प्रशासन को आवेदन दिया था, जिसकी अनुमति तीन सितंबर को ही प्रदान कर दी गई थी। इसके बाद पार्टी नेता जनसंपर्क अभियान में जुटे थे। गुरुवार शाम लगभग पांच बजे जिला प्रशासन की ओर से रैली की अनुमति अचानक खारिज कर दी गई। इसकी जानकारी मिलने पर जिलाध्यक्ष अशोक राना, महानगर अध्यक्ष नगेंद्र प्रसाद दुबे गामा, भाजपा नेता राजकुमार चाहर समेत अन्य नेता रात लगभग आठ बजे जिलाधिकारी आवास पर पहुंच गए। जिलाधिकारी जुहेरबिन सगीर ने भी अनुमति रद करने की बात कही। इस पर भाजपा नेताओं ने विरोध जताते हुए कहा कि प्रशासन का फैसला गलत है। भाजपा नेता राजकुमार चाहर ने बताया कि बड़े नेताओं को बता दिया गया है। उन्होंने यह भी कह दिया कि रैली हर हाल में होगी और नियत स्थान पर होगी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि सपा कार्यसमिति की बैठक से लोकतंत्र की हत्या का आदेश निकला है। प्रशासन को ध्यान रखना चाहिए कि सरकारें एक ही दल की नहीं रहतीं। प्रशासन पुनर्विचार करे। रैली उसी जगह और उसी तिथि को होगी।
डीएम जुहेर बिन सगीर ने बताया कि भाजपा की प्रस्तावित रैली पर रोक है। एसडीएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि रैली के लिए अनुमति पत्र दिया था। इसके बाद मुजफ्फरनगर प्रकरण से परिस्थितियां बदल गई हैं। एसएसपी की रिपोर्ट में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए अनुमति निरस्त करने की संस्तुति की गई है, जिस पर यह निर्णय लिया गया है।

टमाटर खाओ!


भिखारी:- खाना दे दो...
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अशोक गेहलोत :- टमाटर खाओ....
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भिखारी:- रोटी दे दो...
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अशोक गेहलोत :- टमाटर खाओ....
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भिखारी:- चलो टमाटर ही दे दो...
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गेहलोत कि पत्नी बोली:- ये तोतले है कह रहे है कमाकर खाओ.. 

Lawyers of Delhi Rapists were shown sandals

सर्च अभियान बीच में ही बंद

बागपत। रमाला थाना क्षेत्र के किरठल गांव में पुलिस को सर्च अभियान के दौरान एके-47 के 41 कारतूस बरामद हुए हैं, जिसके बाद पुलिस ही नहीं खुफिया एजेंसियों के भी कान खड़े हो गए। सवाल यह है कि कहीं किरठल में एके-47 रायफल तो नहीं है और यदि यह हथियार है तो वह कहां से आया है और कौन लेकर आया है? गौरतलब है कि किरठल गांव में दो संप्रदायों के बीच गहरा तनाव है।
मंगलवार की रात एक मुस्लिम परिवार के आवास से फायरिंग होने के बाद बुधवार दिन में भी गांव में फायरिंग व पथराव हुआ। बाद में पुलिस बल ने अभियान चलाकर मुस्लिम घरों की तलाशी लेनी शुरू की तो रोजुद्दीन के घर में तमंचों के कारतूस के अलावा एके-47 के 41 कारतूस बरामद हुए। इससे पुलिस के साथ-साथ खुफिया एजेंसियों के भी कान खड़े हो गए हैं। पुलिस ने शक के आधार पर तलाशी लेकर रायफल बरामद करनी चाही तो वह बरामद नहीं हो सकी।
सीओ राजेश सोनकर ने बताया कि कि जिस घर से एके 47 के कारतूस बरामद हुए हैं उस घर का एक सदस्य बीएसएफ में कार्यरत बताया गया है। वही इन कारतूसों को लाया था। जांच कराई जा रही है।
सर्च अभियान बीच में ही बंद
पुलिस ने जब किरठल गांव में तलाशी अभियान शुरू किया तो मुसलमानों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। उसके बाद फिर पुलिस ने नए सिरे से तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान एके 47 के कारतूस बरामद हुए। लेकिन पुलिस ने बीच में ही तलाशी अभियान रोक दिया। सूत्रों का कहना है कि सर्च अभियान को बंद करने के लिए ऊपर से दबाव था।
अरुण कुमार, एडीजी कानून व्यवस्था ने बताया कि किरठल गांव में दो संप्रदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे। सीओ का गनर पथराव में घायल हुआ है। वहां तलाशी में एके-47 के 41 कारतूस, नाइन एमएम के 17 कारतूस, पिस्टल का एक कारतूस, एक बंदूक और चाकू आदि बरामद किए गए हैं। घर से एके 47 के कारतूस बरामद होना गंभीर मामला है।

ऐलान को तैयार

वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के विरोध को दरकिनार कर भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी के नाम का ऐलान करने को तैयार है।
मोदी पर भाजपा में जारी घमासान के बावजूद पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह शुक्रवार को मोदी के नाम की घोषणा करने का मन बना चुके हैं।
आडवाणी और सुषमा स्वराज के विरोध को देखते हुए दिल्ली में बृहस्पतिवार देर रात संघ की बैठक हुई। इसमें राजनाथ को अपने मिशन पर आगे बढ़ने को कह दिया गया।

संघ से मिली हरी झंडी
संघ से दोबारा हरी झंडी मिलने के बाद राजनाथ अब मोदी के नाम का ऐलान करने को तैयार हैं। शुक्रवार शाम पांच बजे भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई है।
बैठक में मोदी के नाम का ऐलान हो सकता है। संघ की हरी झंडी मिलने के बाद राजनाथ चाहते हैं कि संसदीय बोर्ड में मोदी के नाम को लेकर आम सहमति बन जाए।
आडवाणी खेमे के विरोध को देखते हुए इससे पहले माना जा रहा था कि राजनाथ संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाए बिना भी मोदी के नाम का ऐलान कर सकते हैं।
भाजपा का संविधान उन्हें यह अधिकार देता है और उनके फैसले पर संसदीय बोर्ड बाद में मुहर लगा सकता है। डेढ़ दशक पहले खुद आडवाणी ने मुंबई में पीएम पद के उम्मीदवार के लिए अटल बिहारी वाजपेयी के नाम का ऐलान बिना संसदीय बोर्ड की मंजूरी के ही इसी तरह किया था।

राजनाथ पीछे हटने को तैयार नहीं
राजनाथ अब मोदी के नाम पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। भाजपा ने अपने सभी प्रदेश अध्यक्षों को शुक्रवार दोपहर बाद प्रदेश कार्यालयों में मौजूद रहने को कहा है।
संकेत साफ है कि संघ के पुख्ता समर्थन के सहारे मोदी की प्रधानमंत्री की 2014 के आम चुनाव के लिए उम्मीदवारी का ऐलान करने को राजनाथ सिंह की तैयारी पूरी हो गई है।
आडवाणी मोदी के नाम के ऐलान के विरोध में हैं, लेकिन लगता है कि पार्टी ने सुषमा स्वराज को मना लिया है। शाम को सुषमा ने मुलाकात के दौरान राजनाथ से साफ कर दिया था कि इस फैसले के लिए संसंदीय बोर्ड की बैठक बुलानी चाहिए।
सूत्रों के अनुसार सुषमा ने पहले मोदी के नाम का ऐलान होने पर लोकसभा में विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देने की धमकी दी थी।
डॉ. मुरली मनोहर जोशी को मनाने के लिए राजनाथ पहले ही उनसे मुलाकात कर चुके हैं। माना जा रहा है कि डॉ. जोशी व सुषमा तो संसदीय बोर्ड के फैसले के खिलाफ नहीं जाएंगे, लेकिन आशंका आडवाणी को लेकर है।
पार्टी मान रही है कि वे कोई भी कड़ा कदम उठा सकते हैं। वे संसदीय बोर्ड की बैठक का बहिष्कार भी कर सकते है। ऐसे में मोदी के नाम को लेकर कार्यकर्ताओं का उत्साह कम होने के साथ ही पार्टी की फजीहत भी होगी।

आडवाणी को मनाने में जुटी भाजपा
पार्टी में आडवाणी को मनाने की कोशिश की जा रही है ताकि वह संसदीय बोर्ड की बैठक में शामिल हों। पहले माना जा रहा था कि राजनाथ संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाए बिना भी मोदी के नाम का ऐलान कर सकते हैं।
भाजपा का संविधान उन्हें यह अधिकार देता है और उनके फैसले पर संसदीय बोर्ड बाद में मुहर लगा सकता है। लेकिन देर रात बोर्ड की बैठक बुलाने के बारे में फैसला लिया गया

आडवाणी विरोध में, मान गईं सुषमा
अब संसदीय बोर्ड के 12 सदस्यों में से आडवाणी ही मोदी के विरोध में हैं। पहले सुषमा भी विरोध में थीं लेकिन पार्टी ने उन्हें मना लिया है। अटल बिहारी वाजपेयी बीमार हैं, जबकि 9 सदस्य मोदी का समर्थन कर रहे है।

दंगाइयों के कहर के निशां

जौली गंगनहर पटरी पर मुस्लिम दंगाइयों के कहर के निशां आज भी रोंगटे खड़े कर रहे हैं। पूरा इलाका दहशत में है। कोई वहां से गुजरने का ‘रिस्क’ नहीं उठा रहा।
जौली की घटना पर उठे सवाल अभी सुलगे हुए हैं। एक-एक कर छह लाशें अब तक बरामद हो चुकी हैं। बसेड़ा के ब्रजपाल सिंह राणा अभी तक गायब हैं।
फूंकी गई 13 ट्रैक्टर-ट्राली, तीन मोटरसाइकिलें और ताबड़तोड़ फायरिंग इस बात का प्रमाण है कि यहां बड़े ‘नरसंहार’ की तैयारी थी। नफरत के सौदागरों ने नक्सली हमले की तरह व्यूह रचना रची थी।
स्वचालित हथियार, धारदार यंत्र और पेट्रोल-डीजल लेकर उन्मादी पहले से तैयार थे। जैसे ही महापंचायत से लौट रहा कारवां जौली नहर पटरी मार्ग के अकबरपुर रोड पर पहुंचा तो हमला हो गया।
उन्मादियों ने ट्रैक्टरों और बाइक पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी। फायरिंग करते हुए धारदार हथियारों से वार किए गए। मौके पर मौजूद छह पुलिसकमियों ने हवाई फायरिंग की, लेकिन उपद्रवियों के सामने टिक नहीं पाए।
जान बचाने को ईखों में घुसना पड़ा। रहमतपुर के मनोज, ककराला के सोहनबीर और रामपाल बताते हैं कि मौत सामने थी। दो घंटे तक उन्माद का कहर बरपा। कुछ लोग नहर में कूद गए।
करीब एक घंटे बाद फोर्स पहुंची। बसेड़ा नरेन्द्र सिंह, अशोक, जयंदर सिंह, ऋषिपाल उस मंजर को याद कर सिहर उठते हैं। मौके की भयावहता का अंदाजा इसी से लगता है कि काबू पाने को पुलिस को 50 राउंड गोलियां चलानी पड़ीं।
खेड़ी फिरोजाबाद, सिकंदपुर, रहमतपुर और भोकरहेड़ी के छह ग्रामीणों के शव मिल चुके हैं, इनमें एक की पहचान नहीं हो सकी है। भोपा और मोरना क्षेत्र के एक दर्जन गांवों में जौली की दहशत पसरी है।

10,000+ Condom Machines Missing


=NEW DELHI: The comptroller and auditor general has taken the Union health ministry to task for having invested Rs 21 crore on installing nearly 22,000 condom vending machines (CVMs), out of which 10,000 were found missing and another 1,100 weren't working. 

Even the sale of condoms after the installation of CVMs, under a National AIDS Control Organization (NACO) project, was found to be way below projections, thus defeating the purpose for which the government had invested such a large sum on the machines, the CAG report said. 

"The CVM scheme by NACO was characterized by poor planning and implementation. The ministry did not undertake a comprehensive feasibility study ... Consequently, the project was discontinued by NACO," the report said. 

The sale of condoms through CVMs was low in comparison to NACO's projections. "The intended objective of improving the accessibility of condoms in high-risk areas through CVMs was not achieved despite an investment of Rs 21.54 crore under the scheme," CAG pointed out and blasted the health ministry for the hasty release of funds under Phase II without ascertaining the status of CVMs installed earlier. 

The installation of CVMs was carried out in a phased manner. In phase-I, Rs 10 crore was released to HLL Lifecare Ltd and all machines were to be installed by September 2005. In phase-II, another Rs 10 crore was released and all CVMs were to be installed by 2008. These machines were to be installed in public places like railway stations, restaurants, bus terminals, cinema houses and red light districts, banks, post offices etc. 

Out of 10,990 CVMs to be installed in phase 1, only 1,130 could be traced. "As the CVMs installed were not insured against theft and damage, no recovery could be made in respect of stolen machines," CAG said. In phase-2, about 10,000 CVMs were to be installed of which only 6,499 were found functional, others missing or damaged or not installed at all. 

As against NACO's estimate of an average sale of six to 35 condoms per day from these machines — depending on areas installed — the actual sale averaged between 0.42 to 1.34 condoms. 

"The reason for lower sale of condoms may be attributed partially to the poor maintenance of machines. The ministry failed to assess reasons for poor sale of condoms for taking remedial action," the CAG observed

'मोदी लाओ देश बचाओ'

मोदी जी के विचारो से प्रभावित होकर 
जाने माने भोजपुरी कलाकार मनोज तिवारी ने बीजेपी से जुड़ने का ऐलान कर दिया है। दिल्ली आज तक से एक खास बातचीत में मनोज ने अपने सियासी इरादों का खुलासा किया।


Condom Mom!


No Action, Please! We Are Muslims


Penalty For Honesty!


Jai Ho!


इज्जत का खयाल!

लड़की: अम्मी मैं शादी नहीं करुँगी और अगर ज़बरदस्ती तुमने मेरी शादी की.. तो मैं घर से भाग जाउंगी..


माँ रोते हुए बोली, "बेटी मैंने भाग के तेरे अब्बा के साथ शादी की.. तेरी खाला और बहन ने भाग के शादी की.. तेरा भाई नौकरानी के साथ और तेरा चाचा धोबन के साथ भाग गया.. तेरी फूफू सब्जी वाले के साथ और तेरी मौसी की बेटी दूधवाले के साथ भाग गयी.. तेरा बाप दो बार पड़ोसन के साथ भाग चुका है.. और अब तू भी भाग जायेगी तो.. ..








.. .. .. .. .. .. .. .. हमारी क्या इज्ज़त रह जायेगी.. कुछ तो ख्याल कर..!!"

भाजपा नेता मुजफ्फरनगर जाने से रोके गए, सोनिया-राहुल जायेंगे

गाजियाबाद [दैनिक जागरण]। मुजफ्फरनगर जाने के लिए गाजियाबाद पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के चार विधायकों समेत अन्य कार्यकत्र्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जबकि पांच विधायक गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचकर भूमिगत हो गये हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र को भी पुलिस गाजियाबाद में रोकने में सफल हो गई। 
भाजपा के प्रदेश के विधायक विभिन्न मार्गो से मुजफ्फरनगर जाने के लिए निकले। मुरादनगर थाने के सामने पुलिस ने शाहजहांपुर के विधायक सुरेश खन्ना, गौंडा के बावन सिंह, फैजाबाद के रामचंद्र यादव एवं इलाहाबाद के केशव चंद मोर्या समेत भाजपा के अन्य कार्यकत्र्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। इन सभी को पुलिस लाइन ले जाया गया है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा के पांच विधायक गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद भूमिगत हो गये।
भाजपा विधायक सतीश महाना, रघुनंदन भदौरिया, सलील विष्णु, राधा मोहन दास अग्रवाल, निरंजन ज्योति, कृष्णा पासवान एवं कानपुर भाजपा के महामंत्री राकेश तिवारी आज सुबह कानपुर शताब्दी से गाजियाबाद पहुंचे। पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुराने पुल पर खड़ी रही और महानगर भाजपा अध्यक्ष अशोक मोंगा व भाजयुमो के प्रदेश मंत्री इंद्र नागर विधायकों को लेकर नये पुल से निकल गये व भूमिगत हो गये। पुलिस सभी की तलाश कर रही है।
दूसरी तरफ पुलिस को झांसा देकर मुजफ्फरनगर जा रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं विधायक कलराज मिश्र को पुलिस ने एनएच 24 पर लालकुआं के पास गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ भाजपा के नोएडा विधायक डा. महेश शर्मा, क्षेत्रीय कोषाध्यक्ष पवन गोयल समेत अन्य नेता है।

Narilatha Flower


आजम से आजिज सपा

नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। अखिलेश सरकार के मंत्री आजम खां पार्टी व सरकार से नाराज हैं।  
फिर भी वह सार्वजनिक तौर पर कहने से बच रहे हैं। हकीकत सपा को भी पता है, लेकिन वह भी उनके तेवरों से आजिज है। लिहाजा, उसने भी सब कुछ हालात पर छोड़ दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, आजम खां की अखिलेश व पार्टी के बड़े नेताओं से दिलों की दूरियां बढ़ रही हैं। खास बात यह है कि सरकार और पार्टी भी इस बार इन दूरियों को कम करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। फिलहाल मंशा, आजम को उनके हाल पर ही छोड़े रखने की है। यही वजह है कि राज्य कैबिनेट की बैठक में आठ बार न जाने के बावजूद न तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने और न सपा के दूसरे नेताओं ने ही उन्हें मनाने का कोई प्रयास किया।
बताते हैं कि सपा अपनी तरफ से आजम को नाराज करने या मनाने की कोई पहल नहीं करना चाहती। अलबत्ता, उन्हें हर मौके पर उतनी तवज्जो मिलेगी, जिसके वह हकदार हैं। तय उन्हें करना है कि वह उसे कितना लेना चाहते हैं। मसलन, आगरा में बुधवार को सपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के मंच पर जो कुर्सियां लगी थीं, उसमें एक आजम खां के लिए थी। कार्यक्रम शुरू होने के कुछ समय पहले तक वह नहीं आए तो उस पर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन को बैठा दिया गया। संदेश साफ है कि किसी के इंतजार में पार्टी या सरकार कहीं रुकने वाली नहीं है। इतना ही नहीं, कार्यसमिति में तो नरेश अग्रवाल और अबू आसिम आजमी ने आजम का नाम लिए बिना ही पार्टी में उनकी कार्यशैली को लेकर परोक्ष रूप से सवाल भी उठा दिया।
उधर, आजम के करीबी सूत्रों का कहना है कि बतौर मंत्री वह अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं, लेकिन सरकार और पार्टी उनकी बात ही नहीं सुन रही है। संगठन में उनके लोगों को तरजीह नहीं दी गई। सरकार में अल्पसंख्यक निकायों में नियुक्तियों का मामला लटका है। आजम अपनी तरफ से कार्यवाही कर चुके हैं। लेकिन उनकी फाइलों को ऊपर से हरी झंडी नहीं मिल रही है। जबकि, प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे हो रहे हैं। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री होने के कारण मुस्लिम समुदाय उनसे भी जवाब मांग रहा है। सरकार की असफलता पर उनके पास जवाब नहीं है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि यही हालात रहे तो आजम खुद ही सपा को अलविदा कह सकते हैं।

आडवाणी नहीं मानते हैं तो भी मोदी!

नई दिल्ली। भाजपा में नरेंद्र मोदी के पीएम प्रत्याशी के ऐलान को लेकर हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि भाजपा मोदी के नाम पर आडवाणी को भी दरकिनार करने से अब नहीं चूकेगी। लिहाजा यदि आडवाणी नहीं भी मानते हैं तो भी शुक्रवार को मोदी के नाम का एलान कर दिया जाएगा। इस बाबत राजनाथ ने सभी प्रदेश भाजपा दफ्तरों में पदाधिकारियों को शाम तीन से पांच बजे तक उपस्थित रहने को कहा है।
वहीं, शुक्रवार को संसदीय बोर्ड की होने वाली अहम बैठक में यदि मोदी के नाम का ऐलान किया जाता है तो लालकृष्ण आडवाणी इसमें जाकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे। मोदी के नाम पर जहां एक ओर आडवाणी खिलाफ हैं वहीं सुषमा स्वराज और मुरली मनोहर जोशी भी उनके नाम के ऐलान के पक्ष में नहीं हैं।

The Lonely Feroze Gandhi!

नई दिल्ली। स्वतंत्रता सेनानी फिरोज गांधी का जन्म 12 सितंबर, 1912 को मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जहांगीर एवं माता का नाम रतिमाई था। 1915 में वे अपनी मां के साथ इलाहाबाद आ गए। इस प्रकार उनकी आरंभिक शिक्षा-दीक्षा इलाहाबाद में हुई। इलाहाबाद उन दिनों स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों का केंद्र था।
युवा फिरोज गांधी भी इसके प्रभाव में आए और बाद में नेहरू परिवार से उनका संपर्क हुआ। उन्होंने 1928 में साइमन कमीशन के बहिष्कार को लेकर हुए आंदोलन में भाग लिया तथा 1930-1932 के आंदोलन में जेल की सजा काटी। फिरोज गांधी 1935 में आगे के अध्ययन के लिए लंदन गए और उन्होंने स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स' से अंतरराष्ट्रीय कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
फिरोज गांधी ने क्षय रोग से पीड़ित पंडित जवाहर लाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू की भारत और जर्मनी के चिकित्सालयों में बड़ी सेवा की। उसी समय उनका इंदिरा गांधी से संपर्क हुआ और मार्च, 1942 ई. में इलाहाबाद में दोनों का विवाह हुआ।
अगस्त, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन' में फिरोज गांधी कुछ समय तक भूमिगत रहने के बाद गिरफ्तार कर लिए गए। रिहा होने के बाद 1946 में उन्होंने लखनऊ के दैनिक पत्र नेशनल हेराल्ड' के प्रबंध निदेशक का पद संभाला। 1952 के प्रथम आम चुनाव में वे लोकसभा के सदस्य चुने गए। इसके बाद उन्होंने लखनऊ छोड़ दिया। कुछ वर्ष वे और इंदिरा, नेहरू जी के साथ रहे। इंदिरा जी का अधिकांश समय प्रधानमंत्री पिता की देख-रेख में बीतता था।
1956 में फिरोज गांधी ने प्रधानमंत्री निवास में रहना छोड़ दिया और वे सांसद के साधारण मकान में अकेले ही रहने लगे। 1957 में वे पुन लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इस बार उन्होंने संसद में भ्रष्टाचार के कई मामले उठाए। इन्हीं के कारण वित्त मंत्री टी. टी. कृष्णमाचारी को अपने पद से हटना पड़ा। वे नेहरू परिवार से अपने संबंधों की परवाह किए बिना प्रधानमंत्री की कई नीतियों, विशेषकर औद्योगिक नीतियों की कटु आलोचना करते थे। वे बड़े लोकप्रिय सांसद थे, पर निजी जीवन में अंतिम वर्षो में बहुत एकाकी हो गए थे। उनके दोनों पुत्र राजीव गांधी और संजय गांधी भी अपनी मां के साथ प्रधानमंत्री निवास में ही रहते थे।
1960 में फिरोज गांधी को दिल का दौरा पड़ा। इंदिरा जी उस समय महिला सम्मेलन में भाग लेने के लिए केरल गई थीं। सूचना मिलते ही वे तुरंत दिल्ली आई और 8 सितंबर, 1960 को फिरोज गांधी का देहान्त हो गया।