Thursday, 19 September 2013

अब पूर्व जनरल को फंसाने की कोशिश?

नई दिल्ली। सेना ने रक्षा मंत्रालय से जनरल वीके सिंह द्वारा बनाई गई गुप्त खुफिया इकाई के क्रियाकलापों की उच्चस्तरीय जांच के आदेश देने का आग्रह किया है। सेना को संदेह है कि इस इकाई ने ‘अनाधिकृत क्रियाकलाप’ और वित्तीय गड़बड़ियां कीं। 
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक सेना को संदेह है कि इस इकाई ने जम्मू-कश्मीर सरकार का तख्ता पलटने और बिक्रम सिंह को रोकने की कोशिश की थी।
सूत्रों ने यहां कहा कि रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की अवैध तरीके से फोन टैपिंग करने के आरोपी तकनीकी सहायता विभाग के बारे में सेना की रिपोर्ट हाल में रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई है और रिपोर्ट में इस इकाई के क्रियाकलापों की जांच की सिफारिश की है।
संपर्क किये जाने पर सेना मुख्यालय ने कहा कि उनकी ओर से मामला बंद है और वह इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता।
यह रिपोर्ट जनरल बिक्रम सिंह द्वारा इस शीर्ष खुफिया इकाई के क्रियाकलापों की समीक्षा के लिए गठित अधिकारी बोर्ड (बीओओ) की ओर से सैन्य अभियान के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने तैयार की।
इन खबरों पर जनरल वीके सिंह ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से आपसी झगड़ा है क्योंकि कुछ लोग मेरे द्वारा देश के पूर्व सैनिकों के हितों के लिए नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने से सहज महसूस नहीं कर रहे हैं।
उनहोंने कहा कि अगर किसी ने इस इकाई के क्रियाकलापों की जांच की सिफारिश की है तो वह व्यक्ति अनावश्यक रूप से बात कर रहा है क्योंकि यह अभियान गुप्त रखने के लिए था।
कहा जा रहा है कि भाटिया नीत समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया कि इस समिति ने कथित रूप से ‘अनधिकृत क्रियाकलाप’ किया।

हरियाणा में ‘आन’ के नाम पर प्रेमी जोड़े को मार डाला

मृतका निधि के माँ-बाप 
अनिरुद्ध घोषालघरणावती(रोहतक)। तेईस साल के धर्मेंदर बराक और 20 साल की निधि बराक की हैसियत में जमीन आसमान का फर्क था। धर्मेंदर गांव के एक मामूली किसान का बेटा था जबकि निधि पैसे वाले परिवार की थी।
उसके परिवार का अच्छी नस्ल के कुत्तों की खरीद फरोख्त का व्यवसाय है और कारोबार दिल्ली तक फैला हुआ है। लेकिन इन दोनों के बीच समस्या हैसियत में फर्क की नहीं थी बल्कि कुछ समानताओं की वजह से थी। दोनों एक ही गांव के और एक ही गोत्र के होने के बावजूद आपस में प्यार करने की गलती कर बैठे।
इसका विरोध होना तय था और इसी वजह से उन दोनों ने मंगलवार को घर से भागकर शादी करने का फैसला कर लिया। 
लेकिन एक दिन बाद दोनों की लाश बरामद हुई। कथित तौर पर शान के लिए हुई इस दोहरी हत्या में शक की सुई परिजनों पर है। 
निधि की पीट-पीट कर हत्या करने के बाद उसका दाह संस्कार कर दिया गया जबकि धर्मेंदर की बुरी तरह पिटाई के बाद उसे चाकू मारा गया और उसका सिर काटकर उसके घर के सामने फेंक दिया गया। 
पुलिस ने इस मामले में अब तक चार लोगों- निधि के पिता बिल्लू, चाचा रविंदर, मां रीता और उनके ड्राइवर महेश चिंपी को गिरफ्तार किया है। लेकिन धर्मेंदर के रिश्तेदार मुंह नहीं खोलना चाहते। उन्होंने तो अभी पुलिस में शिकायत भी नहीं दर्ज कराई है। यहां तक कि वे धर्मेंदर की मां को भी कुछ नहीं बोलने दे रहे हैं। 
धर्मेंदर की मां ने जब मीडिया से बात करने की कोशिश की तो घर वालों ने उन्हें घसीट कर एक कमरे में बंद कर दिया।
पुलिस का कहना है कि ये दोनों पिछले तीन साल से प्यार में गिरफ्तार थे। निधि फाइन आर्ट्स की छात्रा थी जबकि धर्मेंदर आइटीआइ में डिप्लोमा कर रहा था। 
निधि के घर वालों की असली आपत्ति इस बात पर थी कि दोनों एक ही गांव के और एक ही गोत्र के हैं।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये दोनों मंगलवार को घर से भाग निकले थे। 
लेकिन निधि के घर वालों ने उसे बहला फुसला कर घर लौटने को राजी कर लिया। उन्होंने उसकी धर्मेंदर से शादी कराने का भी वादा किया। इसके बाद उन्होंने निधि को वापस लाने के लिए अपनी कार भी भेजी। लेकिन घर लौटते ही उन्होंने पहले निधि को मौत के घाट उतार दिया। 
इसके बाद धर्मेंदर को यातना देने का सिलसिला शुरू हुआ। पीट-पीट कर उसके हाथों और पैरों की हड्डियां तोड़ी गईं और उसके बाद सीने में कई बार चाकू घोंपा गया। पुलिस के मुताबिक इसके बाद उसका सिर काट कर उसके घर के सामने फेंक दिया गया। 
इस घटना के समय धर्मेंदर के घर में कोई पुरुष सदस्य मौजूद नहीं था और महिलाएं घर के अंदर थीं। इसलिए किसी ने नहीं देखा कि वहां दरअसल क्या हुआ था। लेकिन हमें शक है कि धर्मेंदर को उसके घर के सामने लाकर उसका सिर काटा गया था।
मंगलवार को घर से लापता होने के बाद दोनों में से किसी के घर वालों ने गुमशुदगी की कोई रिपोर्ट नहीं दर्ज कराई थी। यहां तक कि धर्मेंदर का सिर काटकर घर के सामने फेंके जाने के बावजूद उसके परिजनों ने कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई। रोहतक के एसएसपी राजेश दुग्गल ने बताया कि हमने कलानौर के एसएचओ के बयान के आधार पर मामले की एफआइआर दर्ज की।
इस मामले में सिर्फ धर्मेंदर के परिजनों ने ही चुप्पी नहीं साध रखी है। लगता है कि इस बाबत आम सहमति है। पूरे गांव में एक भी आदमी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। कईयों का तो यह भी मानना है कि इन दोनों की हत्या में कुछ भी गलत नहीं है। आखिर एक ही गांव और एक ही गोत्र के होकर उन्होंने प्यार करने की गुस्ताखी कैसे कर ली।

जिसको सिफारिश कर लगवाया था, वही कर रहे नागर मामले की जांच!

क्या उम्मीद करें भाया?
जिस अधिकारी को सिफारिश कर दूदू में लगवाया था, वही कर रहे हैं नागर के मामले की जांच
नागर पर लगे दुष्कर्म के आरोप की जांच सीआईडी सीबी के एडीशनल एसपी वी.के. गौड़ कर रहे हैं। 
गौड़ वही अफसर हैं, जिन्हें नागर ने अपनी डिजायर पर दूदू में एडीशनल एसपी लगवाया था। 
गौड़ मई 2001 से सितंबर 2003 तक दूदू में रहे।
उस समय भी गहलोत की सरकार थी। नागर दूदू से कांग्रेस विधायक थे।

Wow!



आसाराम बापू के दर्शन की मांग पर अड़े रहे

जोधपुर। गुरुवार को जोधपुर जेल के बाहर आसाराम के सैकड़ों समर्थक उनके दर्शन के लिए इकट्ठा हुए। वो आसाराम के दर्शन की मांग पर अड़े रहे। 
उनके समर्थकों का कहना था कि पूर्णिमा के दिन वो बिना उनके दर्शन के जल तक ग्रहण नहीं करते। 
पुलिस के इनकार पर कई वहीं बापू के प्रति दंडवत हो गए।  
आसाराम बापू के ये समर्थक जेल प्रशासन के 'क्रूर' रवैये से आहत थे। उनका मानना था कि  बापू जेल में भी खास सुविधाएं पाने के योग्य हैं। 
आखिर शाम को जेल प्रशासन ने महिला व एक पुरुष को मिलने की अनुमति दी। वे साथ में पानी की बोतल ले गए। इसे आसाराम ने हाथ लगाया। बोतल को बाहर लाया गया। समर्थकों ने एक-एक घूंट पानी पीकर उपवास तोड़ा। आसाराम का दर्शन करने के लिए कई राज्यों से उनके समर्थक यहां आए थे।
इसके साथ आसाराम ने अपने समर्थकों के नाम एक पत्र भी भेजा जिसमें उन्होंने लोगों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील की है। 

मोदी का 'मिशन यूपी'

देश के सियासी गलियारों में एक कहावत मशहूर है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। बीजेपी भी समझती है कि अगले लोकसभा चुनावों में यदि उसे केंद्र की सत्ता में पहुंचना है तो उसे सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अच्छी खासी सीटें हासिल करनी होंगी। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें है और इससे पहले यूपी ने देश को आठ प्रधानमंत्री दिए हैं। यूपी में सबसे अधिक संसदीय सीटें (80) हैं। 2000 में उत्तराखंड के गठन से पहले यहां 85 सीटें हुआ करती थी। 
बीजेपी के पीएम उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता और उनकी रैलियों में उमड़ती भीड़ से पार्टी का उत्साह बढ़ रहा है। ऐसे में बीजेपी मोदी की लोकप्रियता को भुनाने का कोई मौका नहीं चूकना चाहती। मोदी के सहारे बीजेपी लोकसभा चुनाव की नैया पार करने की उम्‍मीद बांधे हुए है तो तमाम बाधाओं को पार करते हुए हाल में बीजेपी और एनडीए की तरफ से पीएम उम्‍मीदवार घोषित किए गए मोदी के सामने चुनौतियों का पहाड़ भी है। यूपी से मोदी को बहुत अधिक उम्‍मीदें हैं तो सूबे में उनके सामने सबसे अधिक चुनौतियां भी हैं। आइए, जानते हैं यूपी में अधिक से अधिक सीटें हासिल करने के लिए मोदी और बीजेपी का प्‍लान क्‍या है। 

हिंदुत्‍व का एजेंडा और जातीय समीकरण 
 
मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त का उत्साह देखा जा रहा है। पार्टी इसे अपने लिए एक बड़ा सकारात्मक चीज मान रही है। मोदी के लिए अच्‍छी बात यह है कि राज्‍य की ऊंची जातियों में बीजेपी का असर है और गुजरात के सीएम की ओबीसी वर्ग से ताल्‍लुक रखने वाले नेता के तौर पर पहचान पार्टी के पक्ष में काम कर सकती है। यूपी में अगड़ी जातियों और ओबीसी को मिलाकर सूबे की 50 फीसदी से अधिक आबादी बनती है। 
 
मोदी के एजेंडा के बारे में यूपी बीजेपी के एक नेता ने बताया, 'हालांकि हमें इन्‍क्‍लूसिव पॉलिटिक्‍स के बारे में बात करने को कहा गया है लेकिन मोदी हिंदुत्‍व का चेहरा हैं और इस वजह से उनसे बहुत उम्‍मीदें हैं। हमारा मानना है कि पूर्वी और मध्‍य यूपी में अगड़ी जातियां और ओबीसी (यादवों को छोड़कर) मोदी का समर्थन करेंगे। यहां तक कि अनुसूचित जातियों का एक धड़ा, जो खुद को पहले हिंदू के तौर पर देखता है, मोदी के पक्ष में वोट करेगा। इनमें मेहतर और पासी समुदाय के लोग शामिल हैं जो अब बीएसपी के खेमे में चले गए हैं। पश्चिमी यूपी के जाटों ने भी सभी नेताओं को देख लिया है। अभी हमारा फोकस उन्‍हीं पर है क्‍योंकि उन्‍हें मोदी से बहुत उम्‍मीदें दिखाई दे रही हैं। 

आरोपी नेताओं पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की

उमा भारती 
लखनऊ. मुजफ्फरनगर में दंगा भड़काने के आरोपी नेताओं पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। आखिरकार कोर्ट ने बुधवार को 16 नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए। इनमें बसपा के एक सांसद व दो विधायक और भाजपा के चार विधायक शामिल हैं। वारंट जारी होने के बाद उप्र पुलिस सक्रिय हुई। भाजपा विधायकों को गिरफ्तार करने के लिए विधानसभा की घेरेबंदी तक कर डाली। पर गिरफ्तारी रोकने के लिए शाम करीब छह बजे उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा के सभी विधायक गोलबंद होकर विधानसभा से बाहर निकले। 
बाहर पहले से भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ जमा थी। आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तारी टालनी पड़ी। बाहर निकलकर उमा भारती ने कहा कि सुबह सदन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भरोसा दिलाया था जांच के बाद ही किसी नेता पर कार्रवाई होगी। लेकिन शाम होते-होते वे पलट गए। उमा ने कहा कि भाजपा विधायक गिरफ्तार होने को तैयार हैं, लेकिन उससे पहले सरकार आजम खान को गिरफ्तार करे। इसके साथ ही उमा ने चुनौती देते हुए कहा कि सरकार में हिम्मत है तो सभी भाजपा विधायकों को गिरफ्तार करके दिखाई। फिर परिणाम भी भुगते। उधर, आरोपी विधायकों ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। 
 
सरकार और विपक्ष ने रचा गिरफ्तारी का ड्रामा 
 
वारंट जारी होते ही पुलिस ने विधानसभा के चारों गेट घेर लिए। उन पर 24 डीएसपी तैनात किए गए। आसपास के जिलों से जवान बुलाए गए। उधर, भाजपा नेतृत्व के कहने पर उमा भारती ने विधानसभा पहुंचकर विधायकों की बैठक ली। तय हुआ कि सभी विधायक साथ निकलेंगे। बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं को बुला लिया गया। ताकि हंगामा हो और विशेषाधिकार हनन का मामला बने। सरकार को जैसे ही पता चला, विधायकों की गिरफ्तारी टाल दी गई। एबीपी न्‍यूज का कहना है कि किसी के फोन कॉल पर गिरफ्तारी टाली गई। टीवी चैनल के मुताबिक बसपा सांसद कादिर राणा के मुजफ्फरनगर में होने की जानकारी पुलिस को मिल गई थी और उनकी भी गिरफ्तारी की तैयारी थी। लेकिन ऐन समय पर किसी का फोन आया और नेताओं की गिरफ्तारी टल गई।
 
इन 16 नेताओं के खिलाफ वारंट 
 
भाजपा: 1. हुकुम सिंह, नेता भाजपा विधायक दल, 2. संगीत सोम, 3. सुरेश राणा, 4. कुंवर भारतेंद्र सिंह (सभी विधायक) 5. साध्वी प्राची 
 
भारतीय किसान यूनियन: 1. नरेश टिकैत, 2. राकेश टिकैत 
 
राष्ट्रीय लोकदल: 1. स्वामी ओमवेश,

प्रदेश के पूर्व मंत्री 
 
बहुजन समाज पार्टी: 1. कादिर राणा (सांसद मुजफ्फरनगर), 2. नूर सलीम राणा, 3. जमील अहमद (सभी विधायक) 
 
कांग्रेस: 1. सईदउज्जमा (पूर्व सांसद और प्रदेश के पूर्व गृह राज्य मंत्री), 2. सलमान सईद (सईदउज्जमा के बेटे) 
 
अन्य: 1. मुशर्रफ असद जमा (नगरपालिका सभासद), 2. सुल्तान नशीर, 3. नौशाद कुरैशी 
 
आरोप : मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रवीण कुमार ने बताया कि इन नेताओं के खिलाफ महापंचायत और बैठकों में उत्तेजक भाषण देकर हिंसा भड़काने के आरोप हैं। कुमार ने बताया कि तीन-चार नेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है। बाकी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने 10 टीम बनाई हैं। सभी के खिलाफ दो दिन में कार्रवाई होगी।

Wisdom!


Without Comment!


The Vaid Asharam Prefers!

मेरा नाम वैद्य नीता भौंसले है। मेरी आयु 45 वर्ष है। मैंने पुणे के तिलक आयुर्वेद कॉलेज से वर्ष 1991 में आयुर्वेदाचार्य की डिग्री ली थी।    
आसाराम से कब से जुड़ी हैं?  
वर्ष 1998 में गुरु पूर्णिमा को अहमदाबाद आश्रम में बापू से दीक्षा ली थी। इसके बाद वर्ष 2000 में ईश्वर प्राप्ति के लिए समर्पित हुई।  
इससे पहले क्या करती थीं?   
इससे पहले पुणे में योग वेदांत समिति में मरीजों की नि:शुल्क सेवा करती थी। इसके बाद अहमदाबाद आ गई। धन कमाने का उद्देश्य नहीं था।  
आसाराम बापू को क्या बीमारी है तथा कब से है?   
बापू को ट्राइजेमिनल न्यूरेलिजिया नामक बीमारी है। वे 13 साल से इससे पीडि़त हैं। इसके अलावा हाइपो थाइराजिम व हाइपर लिपिडिमिया बीमारी कई सालों से है। ट्राइजेमिनल न्यूरेलिजिया को ही बापू त्रिनाडी शूल कहते हैं।
आयुर्वेद में तो त्रिनाडी शूल नामक बीमारी ही नहीं है?  
इस बीमारी को आयुर्वेद में अनंत वात कहा जाता है। इसका उल्लेख चरक संहिता, अष्टांग संग्रह, माधव निदान में शिरो रोग प्रकरण में है। बोलचाल में इसे त्रिनाडी शूल कहते हैं। जैसे कई रोगों या बीमारी के बोलचाल के नाम होते हैं। बापू तो संत हैं। वे कोई वैद्य नहीं हैं, जो आयुर्वेद के अनुसार ही बीमारी का नाम बताएं। उन्हें तो यही नाम पता है। 
इस बीमारी में बापू का उपचार करती हैं आप?  
गुजरात के राजवैद्य धनशंकर गौरीशंकर के मार्गदर्शन में उपचार करती हूं। बापू का नस्म, शिरोधारा व कर्णपूरण उपचार करती हूं तथा आयुर्वेद औषधि वृहनवास चिंतामणि रस, शिर शुलारी रस तथा त्रिफला रसायन दिया जाता है। वह भी आवश्यकता अनुसार।   
बीमारी का रोजाना उपचार जरूरी है?  
ज्यादा दर्द बढ़ने पर इसका उपचार किया जाता है। वैसे, बापू रोजाना सिर्फ थाइराइड की एलोपैथिक टैबलेट ही लेते हैं। ट्राइजेमिनल न्यूरेलिजिया का ज्यादा दर्द होने पर शिरोधारा व अन्य उपचार करते हैं।   

Petition to Immediately Discontinue “Bharat Nirmaan” Advertisements!



Received this in e-mail. 

Please do read in case you agree then circulate it.


18th September 2013
To,
The Respected Prime Minister,
New Delhi, India

Subject: Petition to IMMEDIATELY discontinue - 2 “Bharat Nirmaan” advertisements.

Hon’able Dr. Singh,
That you are man of high personal integrity is a fact beyond any doubt. It was this personal integrity that has taken you to achieve great heights and take up positions of responsibility in the past.
You have also been selected to represent the 1.2 billion headcount, which by any standards is a humungous feat.
Being the Prime Minister of the Republic of India, we, the nation have always looked up to your Chair and wish that you give us the opportunity to continue doing the same in the future.
As you are aware, the General Elections of 2014 are round the corner. And all political parties have started going hammer and tongs publicising their achievements in order to garner maximum votes.
I believe, the same strategy has been adopted by the UPA and more so by the Congress.
However, I, as a citizen of the Republic of India would like to humbly and most respectfully put forth certain queries. I would be obliged if you could personally look into my reservations and could respond to my letter at the earliest since your response will directly affect the lives of the said 1.2 billion potential voters.
I would like to bring to your notice the following:-
1) It has been observed that the Bharat Nirmaan Campaign of the Congress Party has started doing rounds in all the households thru the medium of Television Advertisements.
2) It has also been observed that till date, the Bharat Nirmaan Campaign of the Congress Party, has been delivered in 3-4 phases.
3) The Bharat Nirmaan Campaign adopted by the Congress Party has its central theme revolving around the various beneficiary programmes doled out for the public.
4) Whereas it is noticed that One such theme revolves around the Food Security Bill, it is observed that the other 2 themes harp on the 2 bills introduced in the Parliament a) The Hawkers Regularisation Bill.
b) The Real Estate Regularisation Bill.
The 2 above mentioned bills still waiting in line to get the required approval from the august members of the Upper House and is also waiting to be converted into an “Act.”
5) Whereas the ASCI (Advertising Standard Council of India) and the ECI (Election Commission of India) allows any political party to publicise its efforts which have only been converted into “Acts”, the same does not and should not allow any political party to publicise efforts / Bills that are yet to be “passed” by either House and converted into an “Act”
6) All this just to enable a particular political party to take credit of the law which it “intends” to pass, thereby trying to capitalize on the emotions of the voters.

Respected Dr. Singh, I seek your pardon to bluntly term these actions of your Congress party a mere vote grabbing technique which has its premise built on
a) Misrepresentation of Facts
b) Fraud
c) Concealment of Facts
I am sure that an extremely knowledgeable person like yourself would be aware of the Sections 107, 405, 409, 418 and 420 of the IPC which can be evoked out of such gross misrepresentation.
The elements of such advertisements include:
· Material false statement;
· Knowledge of its falsity;
· Reliance on the false statement by the victim;
· (A loss) Damages suffered;
· A deceit or fraud constituting a false statement made wilfully or recklessly, which causes loss to another.
Knowing well, the ill effects of the Bharat Nirmaan advertisements aired by the Congress, I am sure a responsible individual of your stature will immediately take the necessary corrective measures and take the said Bharat Nirmaan advertisements off air.
Anticipating a quick and positive reply from your office.
Yours faithfully,

Sd/-


Mr. Vyomesh Panchmatia

पुलिस अधिकारी यूपी में काम नहीं करना चाहते

मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर चौतरफा घिरी उत्तर प्रदेश सरकार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। दंगे के दौरान मुजफ्फरनगर में कैंप करके मुस्तैदी से काम करते दिखे उत्तर प्रदेश के शीर्ष पुलिस अधिकारी एडीजी (लॉ ऐंड ऑर्डर) अरुण कुमार यूपी में काम नहीं करना चाहते हैं।

उन्होंने प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में जाने के लिए अर्जी दी है। सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में वह अपने को फिट नहीं पा रहे हैं।

एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर के पद पर उनकी तैनाती सीएम अखिलेश यादव ने पिछले साल नवम्बर में उस वक्त की थी, जब प्रदेश में कई जिलों में हालत काफी तनाव पूर्ण थे। तब यह उम्मीद थी कि अरुण कुमार पुलिसिया कार्यशैली में बदलाव लाएंगे। अपनी कार्यशैली को लेकर पहचाने जाने वाले अरुण कुमार ने पदभार संभालने के बाद बीटवार ड्यूटी लगाने से लेकर वैज्ञानिक तरीके से तफ्तीश को बढ़ावा देने समेत कई अहम कदम उठाए, लेकिन उनके कुछ फैसलों को दरकिनार कर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई से वह असहज महसूस करने लगे।

खासतौर से गोंडा के तत्कालीन एसपी नवनीत राणा के मामले में जो कुछ हुआ उससे वह काफी असहज थे। राणा ने उनके कहने पर प्रदेश सरकार के मंत्री के करीबी पशु तस्कर के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन किया, लेकिन बाद में मंत्री के दबाव के चलते राणा को ही हटा दिया गया। सुभाष चंद्र दुबे को भी वह मुजफ्फरनगर खुद लेकर गए थे, लेकिन दुबे के निलंबन से उनको झटका लगा। हद तो तब हो गयी जब सपा के खनन मफियायो के दबाव में यूपी के कई ईमानदार अधिकारियो को परेशान किया जाने लगा और दुर्गाशक्ति को झूठे कारण बताकर निलम्बित कर दिया गया ...

ऐसे में अब लगने लगा कि यूपी के हिन्दू और ईमानदार अधिकारी काम नही कर सकते .. क्योकि आज़म खान यूपी को इस्लामिक ज़ोन बनाना चाहते है और इस काम में उनके रास्ते में जो भी आएगा उसे खत्म कर दिया जायेगा

I Love You, Mom!