मेरा नाम वैद्य नीता भौंसले है। मेरी आयु 45 वर्ष है। मैंने पुणे के तिलक आयुर्वेद कॉलेज से वर्ष 1991 में आयुर्वेदाचार्य की डिग्री ली थी।
आसाराम से कब से जुड़ी हैं?
वर्ष 1998 में गुरु पूर्णिमा को अहमदाबाद आश्रम में बापू से दीक्षा ली थी। इसके बाद वर्ष 2000 में ईश्वर प्राप्ति के लिए समर्पित हुई।
इससे पहले क्या करती थीं?
इससे पहले पुणे में योग वेदांत समिति में मरीजों की नि:शुल्क सेवा करती थी। इसके बाद अहमदाबाद आ गई। धन कमाने का उद्देश्य नहीं था।
आसाराम बापू को क्या बीमारी है तथा कब से है?
बापू को ट्राइजेमिनल न्यूरेलिजिया नामक बीमारी है। वे 13 साल से इससे पीडि़त हैं। इसके अलावा हाइपो थाइराजिम व हाइपर लिपिडिमिया बीमारी कई सालों से है। ट्राइजेमिनल न्यूरेलिजिया को ही बापू त्रिनाडी शूल कहते हैं।
आयुर्वेद में तो त्रिनाडी शूल नामक बीमारी ही नहीं है?
इस बीमारी को आयुर्वेद में अनंत वात कहा जाता है। इसका उल्लेख चरक संहिता, अष्टांग संग्रह, माधव निदान में शिरो रोग प्रकरण में है। बोलचाल में इसे त्रिनाडी शूल कहते हैं। जैसे कई रोगों या बीमारी के बोलचाल के नाम होते हैं। बापू तो संत हैं। वे कोई वैद्य नहीं हैं, जो आयुर्वेद के अनुसार ही बीमारी का नाम बताएं। उन्हें तो यही नाम पता है।
इस बीमारी में बापू का उपचार करती हैं आप?
गुजरात के राजवैद्य धनशंकर गौरीशंकर के मार्गदर्शन में उपचार करती हूं। बापू का नस्म, शिरोधारा व कर्णपूरण उपचार करती हूं तथा आयुर्वेद औषधि वृहनवास चिंतामणि रस, शिर शुलारी रस तथा त्रिफला रसायन दिया जाता है। वह भी आवश्यकता अनुसार।
बीमारी का रोजाना उपचार जरूरी है?
ज्यादा दर्द बढ़ने पर इसका उपचार किया जाता है। वैसे, बापू रोजाना सिर्फ थाइराइड की एलोपैथिक टैबलेट ही लेते हैं। ट्राइजेमिनल न्यूरेलिजिया का ज्यादा दर्द होने पर शिरोधारा व अन्य उपचार करते हैं।
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