
बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता और उनकी रैलियों में उमड़ती भीड़ से पार्टी का उत्साह बढ़ रहा है। ऐसे में बीजेपी मोदी की लोकप्रियता को भुनाने का कोई मौका नहीं चूकना चाहती। मोदी के सहारे बीजेपी लोकसभा चुनाव की नैया पार करने की उम्मीद बांधे हुए है तो तमाम बाधाओं को पार करते हुए हाल में बीजेपी और एनडीए की तरफ से पीएम उम्मीदवार घोषित किए गए मोदी के सामने चुनौतियों का पहाड़ भी है। यूपी से मोदी को बहुत अधिक उम्मीदें हैं तो सूबे में उनके सामने सबसे अधिक चुनौतियां भी हैं। आइए, जानते हैं यूपी में अधिक से अधिक सीटें हासिल करने के लिए मोदी और बीजेपी का प्लान क्या है।
हिंदुत्व का एजेंडा और जातीय समीकरण
मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त का उत्साह देखा जा रहा है। पार्टी इसे अपने लिए एक बड़ा सकारात्मक चीज मान रही है। मोदी के लिए अच्छी बात यह है कि राज्य की ऊंची जातियों में बीजेपी का असर है और गुजरात के सीएम की ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखने वाले नेता के तौर पर पहचान पार्टी के पक्ष में काम कर सकती है। यूपी में अगड़ी जातियों और ओबीसी को मिलाकर सूबे की 50 फीसदी से अधिक आबादी बनती है।
मोदी के एजेंडा के बारे में यूपी बीजेपी के एक नेता ने बताया, 'हालांकि हमें इन्क्लूसिव पॉलिटिक्स के बारे में बात करने को कहा गया है लेकिन मोदी हिंदुत्व का चेहरा हैं और इस वजह से उनसे बहुत उम्मीदें हैं। हमारा मानना है कि पूर्वी और मध्य यूपी में अगड़ी जातियां और ओबीसी (यादवों को छोड़कर) मोदी का समर्थन करेंगे। यहां तक कि अनुसूचित जातियों का एक धड़ा, जो खुद को पहले हिंदू के तौर पर देखता है, मोदी के पक्ष में वोट करेगा। इनमें मेहतर और पासी समुदाय के लोग शामिल हैं जो अब बीएसपी के खेमे में चले गए हैं। पश्चिमी यूपी के जाटों ने भी सभी नेताओं को देख लिया है। अभी हमारा फोकस उन्हीं पर है क्योंकि उन्हें मोदी से बहुत उम्मीदें दिखाई दे रही हैं।
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