
उन्होंने प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में जाने के लिए अर्जी दी है। सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में वह अपने को फिट नहीं पा रहे हैं।
एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर के पद पर उनकी तैनाती सीएम अखिलेश यादव ने पिछले साल नवम्बर में उस वक्त की थी, जब प्रदेश में कई जिलों में हालत काफी तनाव पूर्ण थे। तब यह उम्मीद थी कि अरुण कुमार पुलिसिया कार्यशैली में बदलाव लाएंगे। अपनी कार्यशैली को लेकर पहचाने जाने वाले अरुण कुमार ने पदभार संभालने के बाद बीटवार ड्यूटी लगाने से लेकर वैज्ञानिक तरीके से तफ्तीश को बढ़ावा देने समेत कई अहम कदम उठाए, लेकिन उनके कुछ फैसलों को दरकिनार कर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई से वह असहज महसूस करने लगे।
खासतौर से गोंडा के तत्कालीन एसपी नवनीत राणा के मामले में जो कुछ हुआ उससे वह काफी असहज थे। राणा ने उनके कहने पर प्रदेश सरकार के मंत्री के करीबी पशु तस्कर के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन किया, लेकिन बाद में मंत्री के दबाव के चलते राणा को ही हटा दिया गया। सुभाष चंद्र दुबे को भी वह मुजफ्फरनगर खुद लेकर गए थे, लेकिन दुबे के निलंबन से उनको झटका लगा। हद तो तब हो गयी जब सपा के खनन मफियायो के दबाव में यूपी के कई ईमानदार अधिकारियो को परेशान किया जाने लगा और दुर्गाशक्ति को झूठे कारण बताकर निलम्बित कर दिया गया ...
ऐसे में अब लगने लगा कि यूपी के हिन्दू और ईमानदार अधिकारी काम नही कर सकते .. क्योकि आज़म खान यूपी को इस्लामिक ज़ोन बनाना चाहते है और इस काम में उनके रास्ते में जो भी आएगा उसे खत्म कर दिया जायेगा
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