मुज़फ़्फ़रनगर दंगा मामले में यूपी पुलिस ने चार बीजेपी विधायको समेत दर्जनों जाट नेताओ के खिलाफ केस दर्ज किया है।
मगर सेना पर हमला करने वालों पर, हिन्दुओं का कत्लेआम करने वालों पर, मस्जिदों में हथियार रखने वालों पर कोई केस क्यों नहीं।
खास आदमी 2012 में समाजवादी पार्टी की जीत के बाद मीडिया जिस
अखिलेश की प्रशंसा में कसीदे पढ़ते नहीं थक रही थी आज वही मीडिया उसी अखिलेश यादव के कुशासन का हाल बयां करते नहीं थक रही है!
दरअसल फिरकापरस्ती की सियासत एक शार्ट कट रास्ता है कुर्सी तक पंहुचने का और देश के कुछ मज़हबी सियासी लोगों ने इसी को अपना हथियार बना रखा है!
सही मायनों में ये हथियार उन सियासी लोगों के लिए किसी ''पाशुपात्र'' से कम नहीं है!
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