कैसे सपा के शासन में हिंदुओं के साथ अन्याय हुआ?
अब तक आयीं ख़बरों का निचोड़ पेश है-
* एक मुस्लिम लड़के ने एक हिंदू लड़की के साथ छेड़खानी की और बलात्कार करने की कोशिश की। वो लड़की किसी तरह भाग के घर आई और अपने भाइयों को बताया।
* लड़की के भाइयों ने आरोपी लड़के को मारा और लड़का बुरी तरह से घायल हो गया। कहते हैं कि मर गया है।
* बदले में मुस्लिमो ने लड़की के परिवार पे हमला करके दोनो भाइयों को बुरी तरह से कुचल के मार डाला।
* दोनों पक्षों ने पुलिस में शिकायतें करीं।
*पुलिस ने मुस्लिम पक्ष के लोगों को भी गिरफ्तार करने के बदले सिर्फ लड़की पक्ष के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उसके माँ-बाप पर केस कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। मुस्लिम पक्ष के मामले में कोई छानबीन भी नहीं की गयी।
* हिंदुओं ने इसके विरोध में महासभा की और पुलिस के व मुस्लिम समूह के अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठायी।
* दंगा तब तक भी शुरू नही हुआ था।
* मुसलमानों ने उस महासभा में आए हिंदुओं पे 'सुनियोज़ित तरीके से हमला बोला'।
इलाके के एस.पी. अब्दुल राणा ने सारे पुलिस को दबाब में डाल कर मुस्लिम का साथ देने को कहा।
* उस हमले कितने मारे गए हैं अभी तक पता नही लेकिन फिर भी हिंदुओं को ही गिरफ्तार किया गया।
* हिंदुओं का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होने मुसलमानों को जबाबी हमलों में घर से निकाल के मारा।
* क्रिया- प्रतिक्रिया में दंगे की आग फैलाती जा रही है।
प्रशासन का दावा-
हालांकि जिलाधिकारी शर्मा के मुताबिक, ''यह छेड़छाड़ की घटना थी जिसमें दो लड़कों ने एक को मारा और भीड़ ने उन दोनों को मार दिया। लेकिन इसमें दो समुदायों के लोग होने की वजह से मामला सांप्रदायिक हो गया।"
28 अगस्त को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गौरव-सचिन की बर्बरता से हत्या के खुलासे ने माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया। शवों को दाह-संस्कार के लिए रखते ही 2-3 ट्रैक्टर-ट्रॉली निकलकर गांव की ओर पहुंची और जुमा मस्जिद से लेकर चौराहे तक की दुकानों-घरों में तोडफ़ोड़ करते हुए आगे बढ़ीं।
प्रशासन को उम्मीद थी कि दाह-संस्कार समाप्त होने के बाद भीड़ वापस जाएगी। लेकिन अचानक हुए हमलों को रोकने में पुलिस नाकाम रही।
हालांकि गांव में तैनात पीएसी के जवानों ने एकबार तो भीड़ को खदेड़ दिया। फिर दोपहर में शाहनवाज का शव कवाल पहुंचा और उसे दफनाने के दौरान नारेबाजी हुई और मामला बढ़ता गया।
अब तक आयीं ख़बरों का निचोड़ पेश है-
* एक मुस्लिम लड़के ने एक हिंदू लड़की के साथ छेड़खानी की और बलात्कार करने की कोशिश की। वो लड़की किसी तरह भाग के घर आई और अपने भाइयों को बताया।
* लड़की के भाइयों ने आरोपी लड़के को मारा और लड़का बुरी तरह से घायल हो गया। कहते हैं कि मर गया है।
* बदले में मुस्लिमो ने लड़की के परिवार पे हमला करके दोनो भाइयों को बुरी तरह से कुचल के मार डाला।
* दोनों पक्षों ने पुलिस में शिकायतें करीं।
*पुलिस ने मुस्लिम पक्ष के लोगों को भी गिरफ्तार करने के बदले सिर्फ लड़की पक्ष के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उसके माँ-बाप पर केस कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। मुस्लिम पक्ष के मामले में कोई छानबीन भी नहीं की गयी।
* हिंदुओं ने इसके विरोध में महासभा की और पुलिस के व मुस्लिम समूह के अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठायी।
* दंगा तब तक भी शुरू नही हुआ था।
* मुसलमानों ने उस महासभा में आए हिंदुओं पे 'सुनियोज़ित तरीके से हमला बोला'।
इलाके के एस.पी. अब्दुल राणा ने सारे पुलिस को दबाब में डाल कर मुस्लिम का साथ देने को कहा।
* उस हमले कितने मारे गए हैं अभी तक पता नही लेकिन फिर भी हिंदुओं को ही गिरफ्तार किया गया।
* हिंदुओं का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होने मुसलमानों को जबाबी हमलों में घर से निकाल के मारा।
* क्रिया- प्रतिक्रिया में दंगे की आग फैलाती जा रही है।
प्रशासन का दावा-
हालांकि जिलाधिकारी शर्मा के मुताबिक, ''यह छेड़छाड़ की घटना थी जिसमें दो लड़कों ने एक को मारा और भीड़ ने उन दोनों को मार दिया। लेकिन इसमें दो समुदायों के लोग होने की वजह से मामला सांप्रदायिक हो गया।"
28 अगस्त को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गौरव-सचिन की बर्बरता से हत्या के खुलासे ने माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया। शवों को दाह-संस्कार के लिए रखते ही 2-3 ट्रैक्टर-ट्रॉली निकलकर गांव की ओर पहुंची और जुमा मस्जिद से लेकर चौराहे तक की दुकानों-घरों में तोडफ़ोड़ करते हुए आगे बढ़ीं।
प्रशासन को उम्मीद थी कि दाह-संस्कार समाप्त होने के बाद भीड़ वापस जाएगी। लेकिन अचानक हुए हमलों को रोकने में पुलिस नाकाम रही।
हालांकि गांव में तैनात पीएसी के जवानों ने एकबार तो भीड़ को खदेड़ दिया। फिर दोपहर में शाहनवाज का शव कवाल पहुंचा और उसे दफनाने के दौरान नारेबाजी हुई और मामला बढ़ता गया।
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