क्रूर सौदागर
धर्मनिरपेक्षता के क्रूर सौदागर
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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार है. इस पार्टी की कमान धर्मनिरपेक्षता के 'लंबरदार' मुलायम सिंह यादव के हाथ में है और राज्य के मुख्यमंत्री हैं उनके सुपुत्र अखिलेश यादव। अखिलेश के कार्यकाल में सौ से अधिक दंगे हो चुके हैं। मुजफ्फरनगर के ताजा दंगों में 29 लोगों की हत्या हो चुकी है। तो यह क्यों नहीं कहा जाए कि इन दंगों के लिए अखिलेश यादव जिम्मेदार हैं और उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा कर जेल में बंद कर देना चाहिए?
गुजरात में तीन दिन चले दंगों के लिए बीते ग्यारह साल से नरेंद्र मोदी के पीछे मुलायम सिंह यादव जैसे तमाम सेक्युलर नेता पड़े हैं। लेकिन जब बात उनके राज्यों में होने वाले दंगों की होती है तो सब खुद को पाक साफ बताने लगते हैं।
असम में भी ऐसा ही हुआ। पिछले साल जुलाई में वहां दंगे भड़के और तीन हफ्तों तक हिंसा होती रही। सेना की तैनाती में भी देरी हुई। बावजूद इसके तरुण गोगोई और कांग्रेस सेक्युलर हैं।
1984 में कांग्रेस सरकार के दौरान सिखों का नरसंहार हुआ। कांग्रेस के नेता और मंत्री तक हिंसा में नामजद हुए। यही नहीं तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उकसाने वाला बयान दिया। बावजूद इसके नेहरू-गांधी परिवार धर्मनिरपेक्ष है।
धर्मनिरपेक्षता के ऐसे ही नए लंबरदार हैं नीतीश कुमार। कम समय में वह मुलायम, लालू और कांग्रेसी-वामपंथी नेताओं से आगे निकलना चाहते हैं। इसलिए अपने राज्य में होने वाले दंगों पर वह मौन रहते हैं। यही नहीं उनके इशारे पर बिहार की पुलिस यासीन भटकल जैसे मोस्ट वांटेड आतंकवादियों से पूछताछ करना भी मुनासिब नहीं समझती है।
दरअसल, धर्मनिरपेक्षता की यह विभत्स परिभाषा कांग्रेस और समाजवादी-वामपंथी धड़े ने अपनी सहूलियत के लिए गढ़ी है। जिसमें वह सभी मिल कर एक धर्मविशेष की वोटों की खातिर देश के बहुसंख्यकों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हैं। देश के सौहार्द को संकट में डालते हैं। इससे भी ज्यादा क्रूर सत्य तो यह है कि अपने सियासी लाभ के लिए ये सभी जिस धर्मविशेष का कार्ड खेलते हैं। उसी मजहब के लोग आज भी सबसे अधिक गरीब और पिछड़े हुए हैं।
बहरहाल, मुजफ्फरनगर के दंगों में मारे गए लोगों के प्रति संवेदनाओं के साथ उत्तर प्रदेश की निकम्मी सरकार से मेरी यह अपील है कि वह सियासी नफे-नुकसान से ऊपर उठ कर अपने दायित्वों का पालन करे। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह मारे गए लोगों की आत्मा को शांति दे और उनके परिजनों को इस दुख से उबरने का हौसला दे।
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