आज 'आज तक' न्यूज चैनल के खुलासे के अनुसार पता है कि मुजफ्फर नगर दंगे के पीछे समाजवादी पार्टी का हाथ है।
चैनल ने बताया कि सचिन और गौरव की हत्या के बाद 7 आरोपियोँ को पकड़ा गया पर यूपी की समाजवादी सरकार ने डीएम और एसपी को सस्पेँड कराके उन सातोँ आरोपियोँ को दबाव के चलते छोड़ दिया गया।
इसलिए लोगोँ का गुस्सा और भड़क गया।
मुजफ्फरनगर दंगो पर स्टिंग :
दंगो के सात बड़े "शांतिप्रिय" आरोपियों को जिन्होंने दोनों हिन्दू भाइयो की पीट-पीटकर हत्या की थी उनकी रिहाई के लिए "उपर" से आदेश आया था |
खुद उस थाने का एचएसओ ने कैमरे पर बताया कि उन "शांतिप्रिय" आरोपियों के रिहा होने की खबर से ही "शांतिप्रिय" लोगो को लगा की यूपी में तो "अपनी" सरकार है कुछ भी करो। कुछ नही होगा।"
फिर उसके बाद भयंकर दंगे भड़के।
जस्टिस आफ़ताब आलम जी। प्लीज आप भी देखिये।
शबनम हाश्मी, तीस्ता जावेद, मुकुल सिन्हा, हर्ष मन्डर जी अगर अरब देशो से भेजे गये रकम को लेने के लिए वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर की ऑफिस में बार बार आने जाने से फुर्सत मिले तो कभी यूपी के दंगो पर भी अपनी छाती कूट लिया करो।
वरना जनता समझेगी की आपलोग शायद एक बाप की पैदाइश नही लगते हो। वरना इतना दोगलापन आप लोग कैसे कर सकते है?
आपलोगो का "अवतार" इस धरती पर तो लोगो की भलाई, मानवाधिकार दिलाने, अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए ही हुआ है। तो क्या सारी समस्याए सिर्फ गुजरात में ही है?
दो "सुपर-सेकुलर" ख़बरें उपलब्ध हैं आपके लिए-
पहली खबर के अनुसार दिल्ली से मुज़फ्फरनगर गए तीन VIP सिर्फ मुस्लिमों के राहत शिविरों में उनसे मिलने गए, इस बात को लेकर जाटों में बेहद गुस्सा है।
(जाटों को समझना चाहिए कि जब मन्नू मामा ने "मुसलमान का हक पहला" है कहा था, तो फिर उनसे उम्मीद क्यों?)
इसी खबर से जुड़ी एक अन्य खबर यह है कि उमा भारती को मुज़फ्फरनगर जाने से रोक दिया गया है। स्वाभाविक है क्योंकि एक तो उमा भारती भगवा पहनती हैं और वे जाटों के राहत शिविर में मिलने जा रही थीं। इसलिए उन्हें VIP नहीं माना जा सकता।
दूसरी खबर के अनुसार आंधप्रदेश हाईकोर्ट ने जेल से निर्दोष रिहा होने वाले मुस्लिम युवकों को मुआवजा देने पर रोक लगा दी है और जिन्हें मुआवजा दिया जा चुका है उनसे वापस वसूल करने के आदेश दिए हैं।
जबकि मुख्यमंत्री किरण कुमार ने तत्काल अपनी "सेक्यूलर प्रतिबद्धता" दर्शाते हुए कहा है कि हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती दी जाएगी। अर्थात सुप्रीम कोर्ट ने भी यदि इसे नहीं माना तो क़ानून ही बदल देंगे।
मुसलमानों के वोट हथियाने के लिए कोर्ट के निर्णयों को लात मारने की काँग्रेस की पुरानी परम्परा भी है तथा सुप्रीम कोर्ट के तमाचे खा-खाकर अब फुल मोटी चमड़ी वाले भी हो गए हैं।
चैनल ने बताया कि सचिन और गौरव की हत्या के बाद 7 आरोपियोँ को पकड़ा गया पर यूपी की समाजवादी सरकार ने डीएम और एसपी को सस्पेँड कराके उन सातोँ आरोपियोँ को दबाव के चलते छोड़ दिया गया।
इसलिए लोगोँ का गुस्सा और भड़क गया।
मुजफ्फरनगर दंगो पर स्टिंग :
दंगो के सात बड़े "शांतिप्रिय" आरोपियों को जिन्होंने दोनों हिन्दू भाइयो की पीट-पीटकर हत्या की थी उनकी रिहाई के लिए "उपर" से आदेश आया था |
खुद उस थाने का एचएसओ ने कैमरे पर बताया कि उन "शांतिप्रिय" आरोपियों के रिहा होने की खबर से ही "शांतिप्रिय" लोगो को लगा की यूपी में तो "अपनी" सरकार है कुछ भी करो। कुछ नही होगा।"
फिर उसके बाद भयंकर दंगे भड़के।
जस्टिस आफ़ताब आलम जी। प्लीज आप भी देखिये।
शबनम हाश्मी, तीस्ता जावेद, मुकुल सिन्हा, हर्ष मन्डर जी अगर अरब देशो से भेजे गये रकम को लेने के लिए वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर की ऑफिस में बार बार आने जाने से फुर्सत मिले तो कभी यूपी के दंगो पर भी अपनी छाती कूट लिया करो।
वरना जनता समझेगी की आपलोग शायद एक बाप की पैदाइश नही लगते हो। वरना इतना दोगलापन आप लोग कैसे कर सकते है?
आपलोगो का "अवतार" इस धरती पर तो लोगो की भलाई, मानवाधिकार दिलाने, अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए ही हुआ है। तो क्या सारी समस्याए सिर्फ गुजरात में ही है?
दो "सुपर-सेकुलर" ख़बरें उपलब्ध हैं आपके लिए-
पहली खबर के अनुसार दिल्ली से मुज़फ्फरनगर गए तीन VIP सिर्फ मुस्लिमों के राहत शिविरों में उनसे मिलने गए, इस बात को लेकर जाटों में बेहद गुस्सा है।
(जाटों को समझना चाहिए कि जब मन्नू मामा ने "मुसलमान का हक पहला" है कहा था, तो फिर उनसे उम्मीद क्यों?)
इसी खबर से जुड़ी एक अन्य खबर यह है कि उमा भारती को मुज़फ्फरनगर जाने से रोक दिया गया है। स्वाभाविक है क्योंकि एक तो उमा भारती भगवा पहनती हैं और वे जाटों के राहत शिविर में मिलने जा रही थीं। इसलिए उन्हें VIP नहीं माना जा सकता।
दूसरी खबर के अनुसार आंधप्रदेश हाईकोर्ट ने जेल से निर्दोष रिहा होने वाले मुस्लिम युवकों को मुआवजा देने पर रोक लगा दी है और जिन्हें मुआवजा दिया जा चुका है उनसे वापस वसूल करने के आदेश दिए हैं।
जबकि मुख्यमंत्री किरण कुमार ने तत्काल अपनी "सेक्यूलर प्रतिबद्धता" दर्शाते हुए कहा है कि हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती दी जाएगी। अर्थात सुप्रीम कोर्ट ने भी यदि इसे नहीं माना तो क़ानून ही बदल देंगे।
No comments:
Post a Comment