Tuesday, 17 September 2013

मुजफ्फरनगर दंगा: आजम ने पुलिस से कहा था- जो भी हो रहा है होने दो...


नई दिल्ली. मुजफ्फरनगर दंगे राजनीतिक दबाव के नतीजे थे। दंगा शुरू होने के पहले ही दिन 27 अगस्त को कवाल गांव में सातों आरोपियों का गिरफ्तार कर लिया गया था। दंगा प्रभावित इलाके के एक पुलिस अफसर ने स्टिंग में बताया कि लखनऊ से सपा के बड़े नेता आजम खान का फोन आया। इसके बाद सभी आरोपियों को छोडऩा पड़ा।
नेता ने कहा- ‘जो हो रहा है होने दो।’ 
यह खुलासा समाचार चैनल आज तक ने स्टिंग ऑपरेशन में किया है। 
 
कवाल गांव जानसठ तहसील में आता है। कवाल में ही 27 अगस्त को एक लड़की से छेड़छाड़ को लेकर दो समुदाय भिड़ गए। घंटेभर में तीन लाशें गिर गईं।

इलाके के एसडीएम आरसी त्रिपाठी और सीओ जेआर जोशी ने इलाके का दौरा किया। उसी दिन दंगा करने वाले आठ लोगों को पकड़ लिया गया। जोशी का दावा है कि दंगाई दोहरी हत्याओं के मुख्य संदिग्ध थे।

लेकिन रात को लखनऊ से फोन आया और दंगाइयों को छोडऩा पड़ा। फिर फर्जी एफआईआर कराया गया। सीओ ने बताया कि ‘सच तो ये है कि कुछ घरों की तलाशी लेने पर एसएसपी मंजीत सैनी और डीएम सुरेंद्र सिंह का तबादला कर दिया गया।

बाद में नए डीएम ने आकर जांच की दिशा ही बदल दी। अगर डीएम और एसपी का तबादला नहीं हुआ होता तो दंगे भी नहीं भड़कते। 
 
खुलासा होते ही उप्र सरकार ने सच बोलने वाले अफसरों को लाइन अटैच किया 
 
चैनल के खुलासे के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने स्टिंग में सच बताने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी। 

मंगलवार रात में ही किसी का तबादला कर दिया गया तो किसी को लाइन अटैच करने के आदेश जारी कर दिए गए। स्टिंग ऑपरेशन में मुजफ्फरनगर के उन इलाकों के पुलिस अधिकारियों से बात की गई है जहां दंगे हुए थे। 

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