अदालत भवन |
नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने दामिनी गैंगरेप के दोषियों को फांसी की सजा सुना दी है। हालांकि इस पर तामील की लंबी कानूनी प्रक्रिया है। वैसे भी, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक देश की अदालतों ने 10 सालों में 1455 कैदियों को फांसी की सजा सुनाई है।
सजा ए मौत को लेकर भारत के विरोधाभासी रवैये के बीच अदालत के इस फैसले पर देश ही नहीं दुनियाभर की निगाहें लगी रहीं।
देश की अदालतों में हर साल औसतन 130 लोगों को फांसी की सजा सुनाई जाती है लेकिन बीते 17 साल में महज तीन लोगों को ही मौत की सूली पर चढ़ाया जा सका है। दोषी को सजा देने की लंबी प्रक्रिया के बावजूद बीते साल भारत ने मौत की सजा पर पाबंदी जुड़े संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश किए गए प्रस्ताव के मसौदे का विरोध किया था। इस प्रस्ताव में दुनिया में कहीं भी फांसी पर रोक की बात कही गई थी ताकि सजा ए मौत को खत्म किया जा सके। भारत ने कहा कि हर देश को अपनी कानून व्यवस्था तय करने का अधिकार है।
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