उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर सहित उसके आसपास के जिलों में फैली सांप्रदायिक हिंसा पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
कोर्ट ने सरकार को दो माह की लंबी मोहलत देते घटना से संबंधित समस्त ब्यौरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। याचिका पर सुनवाई 18 नवंबर को होगी।
रावेंद्र रजौरिया द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश शिवकीर्ति सिंह और न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की खंडपीठ ने कहा कि क्षेत्र में शांति कायम रखना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
महाधिवक्ता एसपी गुप्ता ने बताया कि दंगों की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित कर दिया गया है, जो दो माह में अपनी रिपोर्ट देगा। इस पर कोर्ट ने दो माह बाद आयोग की रिपोर्ट भी दाखिल करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों की पुलिस जांच करे तथा याची अगली तारीख पर यदि कोई अन्य तथ्य प्राप्त करता है तो उससे न्यायालय को अवगत कराए।
याचिका में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कैबिनेट मंत्री आजम खां को भी पक्षकार बनाया है हालांकि कोर्ट ने उनको नोटिस जारी नहीं किया है।
याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता अर्चना त्यागी ने कहा कि पुलिस की लापरवाही के कारण दंगा हुआ जिसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। जितनी भी हत्यायें हुई हैं उनकी प्राथमिकी तक नहीं दर्ज की गई। चार दिन तक जिले में कोई डीएम नहीं था।
कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी के अलावा मुजफ्फरनगर के डीएम और एसएसपी को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने सरकार को दो माह की लंबी मोहलत देते घटना से संबंधित समस्त ब्यौरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। याचिका पर सुनवाई 18 नवंबर को होगी।
रावेंद्र रजौरिया द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश शिवकीर्ति सिंह और न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की खंडपीठ ने कहा कि क्षेत्र में शांति कायम रखना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
महाधिवक्ता एसपी गुप्ता ने बताया कि दंगों की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित कर दिया गया है, जो दो माह में अपनी रिपोर्ट देगा। इस पर कोर्ट ने दो माह बाद आयोग की रिपोर्ट भी दाखिल करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों की पुलिस जांच करे तथा याची अगली तारीख पर यदि कोई अन्य तथ्य प्राप्त करता है तो उससे न्यायालय को अवगत कराए।
याचिका में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कैबिनेट मंत्री आजम खां को भी पक्षकार बनाया है हालांकि कोर्ट ने उनको नोटिस जारी नहीं किया है।
याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता अर्चना त्यागी ने कहा कि पुलिस की लापरवाही के कारण दंगा हुआ जिसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। जितनी भी हत्यायें हुई हैं उनकी प्राथमिकी तक नहीं दर्ज की गई। चार दिन तक जिले में कोई डीएम नहीं था।
कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी के अलावा मुजफ्फरनगर के डीएम और एसएसपी को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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