भाजपा की ओर से नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने के ऐलान के बाद कांग्रेस के सामने सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर वह कैसे उनकी काट ढूंढे।
कांग्रेस का पहला दांव धर्मनिरपेक्षता बनाम सांप्रदायिकता की बहस छेड़कर वोटों के धुव्रीकरण करने पर रहेगा। मोदी के ऐलान के साथ ही पार्टी ने इसकी शुरुआत भी कर दी है।
मुजफ्फरनगर दंगों के लिए कांग्रेस ने मोदी को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी ने कहा है कि अमित शाह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाने के बाद ही तय हो गया था कि प्रदेश में दंगे होंगे।
दरअसल, मोदी के विकास पुरुष की छवि को टक्कर देना कांग्रेस के लिए मुश्किल चुनौती है। इसलिए धर्मनिरपेक्षता बनाम सांप्रदायिकता के नारे को ही बुलंद करने का ही कांग्रेस संकेत दे रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा कि अर्थव्यवस्था फिर पटरी पर आ रही है। औद्योगिक सूचकांक बढ़ा है। सरकार ने संसद के मानसून सत्र में खाद्य सुरक्षा, भूमि अधिग्रहण, पेंशन, कंपनी बिल समेत कई बड़े कानून बनाकर जनता को तोहफा दिया है।
मगर बढ़ती महंगाई, बढ़ती मंदी और बढ़ते भ्रष्टाचार के मुद्दे पर रटे रटाए जवाब के अलावा पार्टी के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। ऐसे में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर दलों को इकट्ठा कर मोदी पर हमला करने की कांग्रेस की पहली कोशिश है।
साथ ही गुजरात दंगों के जिन्न को पार्टी दोबारा फिर से बाहर निकालने पर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री के घर कांग्रेस कोर कमेटी की बैठकों से लेकर दस जनपथ तक कई तरह की रणनीतियों और योजनाओं पर विचारों की जद्दोजहद जारी है।
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