लखनऊ. वोटबैंक की राजनीति आम जनता पर कितनी भारी पड़ेगी इसका खुलासा तो एक चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में हो गया। साथ ही यह भी खुलासा हो गया कि किस तरह एक मामूली अपराध की घटना को वोटों की राजनीति के लिए इस्तेमाल करने की ताक में नेता बैठे रहते हैं। यह खुलासा राज्यपाल और आईबी की उस रिपोर्ट की तस्दीक करती है कि दंगा रोका जा सकता था लेकिन सपा सरकार ने अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए मुजफ्फरनगर को सांप्रदायिक हिंसा में जलने दिया।
दैनिकभास्कर.कॉम के हाथ जो जानकारी लगी है उसके मुताबिक सपा नेताओं ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल के प्रभाव को तोड़ने के लिए एक मामूली घटना को सांप्रदायिक हिंसा में बदल जाने दिया। वर्तमान में राष्ट्रीय लोकदल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश हिन्दू और मुसलमान दोनों वोट देता है। वोटों के ध्रुवीकरण के लिए की गई इस साजिश की तस्दीक केंद्रीय गुप्तचर एजेंसी के अधिकारी ने भी की। पहले छेड़छाड़ और फिर उसपर कोई कार्रवाई न होना इस दंगे की वजह नहीं था।
दंगे की वजह बना इस मामले में हुई दो हत्याओं के बाद आरोपियों को छोड़ देना। इस बात की तस्दीक चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में मुजफ्फरनगर के अधिकारियों ने भी की है। 27 अगस्त को गौरव और सचिन की ह्त्या के बाद पुलिस ने शाम को ही 7 आरोपियों को पकड़ लिया था। लेकिन थाने पहुंचते ही लखनऊ से एक बड़े नेता का फ़ोन आ गया जिसका नाम स्टिंग में आजम बताया गया।
इस फ़ोन के बाद देर रात इन आरोपियों को छोड़ दिया जाता है। घरों की तलाशी ली जाती है जिसपर कुछ रसूखदार नेता डीएम और एसएसपी से नाराज़ हो गए और दोनों का तबादला कर दिया जाता है। इस कार्रवाई से, इलाके में सांप्रदायिक तनाव भड़का। अब इसे संयोग कहें या हकीकत कि सपा के कद्दावर मंत्री का नाम भी आजम खान है और वे मुजफ्फरनगर जिले के प्रभारी हैं।
यहां दंगे की नींव पड़ चुकी थी। इसके बाद 30 अगस्त को महापंचायत हुई, 31 अगस्त को फिर एक महापंचायत हुई और तीसरी और आखिरी महापंचायत 6 सितम्बर को हुई। 27 अगस्त को धारा 144 लागू होने के बाद जिले में एक के बाद एक महापंचायत होती है जिसमें लोग हथियार लेकर आते हैं और भड़काऊ भाषण देते हैं, आखिर ये बिना प्रशासन के मदद के कैसे संभव था? इसके बाद हिंसा का जो नंगा नाच शुरु होता है वह सेना के आने के दो दिन बाद रुकता है, लेकिन तब तक 50 से ज्यादा जिंदगियां इस साजिश की शिकार हो जाती हैं।
इसके बाद तो इस 'राजनितिक' स्क्रिप्ट के मुताबिक काम हो चुका था। अब ध्रुवीकरण की घिनौनी साजिश पूरी हो चुकी थी। पारंपरिक रूप से रालोद को समर्थन देने वाली जनता अब हिन्दू- मुसलमान में बाँट चुकी है। सपा के नेता इस बात से आश्वस्त थे कि अब कम से कम कुछ बीकेयू के राकेश टिकैत नयी शक्ति बनकर उभरे हैं, जाट उन्हें वोट देंगे और मुसलमान सपा को।
मैग्सेसे अवार्ड विनर संदीप पाण्डेय कहते हैं कि मुलायम सिंह भले सपना देख रहे हों कि मुसलमान उन्हें वोट देगा लेकिन अपने प्रतिद्वंदी को कमजोर करके खुद को सशक्त करने की ऐसी चाल, परिस्थिति हाथ से बाहर निकल जाने पर उल्टा असर भी डाल सकती है, जैसा कि अब मुजफ्फरनगर में देखने को मिल रहा है।
No comments:
Post a Comment